न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पिकप भवन में तीन जुलाई को लगी आग साजिशन लगाई गई थी। प्रदेश सरकार की जांच कमिटी ने हैरान करने वाला खुलासा किया है।
इस घटना में उद्यमियों को लोन से संबंधित सैकड़ों फाइलें राख हो गई थी। इन फाइलों को अभी तक डिजिटलाइजेशन भी नहीं हुआ था। योगी सरकार ने पिकअप भवन अग्निकांड की आज फोरेंसिक टीम की जांच कराएगी।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, पिकप भवन में आग लगी नहीं बल्कि साजिशन लगाई गई थी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी के निर्देश पर डीजीएम रिचा भार्गव ने विभूतिखंड थाने में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ ये मुकदमा दर्ज कराया है। आईपीसी 353,436,427 और प्रिवेंशन ऑफ डैमेजेस टू पब्लिक प्रॉपर्टी एकट 1984 की धारा 4 में एफआईआर दर्ज की गई है।
सीएम योगी के निर्देश पर गठित जांच कमिटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि साजिश के तहत पिकप भवन में आग लगाई गई। शॉर्ट सर्किट के कोई सबूत नहीं मिले हैं। यदि शॉर्ट सर्किट से आग लगी होती तो पैनल डिस्टर्ब जरूर होता, लेकिन ऐसा नहीं था। इसके अलावा बिल्डिंग के एयर कंडीशन में भी शॉर्ट सर्किट के सुबूत नहीं मिलें हैं।
पुलिस के मुताबिक, तहरीर में किसी विभागीय कर्मचारी पर आग लगाने का संदेह जताया गया है। इससे पहले जांच कमिटी के अध्यक्ष और एडीजी इंटेलिजेंस एसबी शिरडकर ने प्रभारी प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिकप भवन के कर्मचारियों से पूछताछ में पता चला है कि आग जानबूझकर लगाई गई थी। तकनीकी विशेषज्ञों की जांच में भी इस बात के साक्ष्य मिले हैं। आग से दो तलों को ही ज्यादा नुकसान हुआ। इन तलों पर मौजूद कौन सी फाइलें जल गईं, उनका ब्योरा तैयार किया जा रहा है। जांच में साजिश रचने वाले कुछ नाम भी सामने आए हैं।
रिपोर्ट के माने तो पिकप भवन के प्रथम थल पर स्थित प्रदेशीय इंडस्ट्रियल एवं इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन उत्तर प्रदेश लिमिटेड (पिकप) में आग तीन जुलाई को शाम सवा सात बजे लगी। विभाग ने पौने आठ बजे इसकी सूचना दी। यह किसी साजिश की ओर इशारा कर रहा है।
गौरतलब है कि पिकप की ओर से उद्यमियों का उद्योग की स्थापना के लिए ऋण दिया जाता है। पूर्व में दिए गए लोन की फाइलों का डिजिटलाइजेशन तक नहीं हुआ था। इन फाइलों का ऑडिट होता तो कई बड़े अधिकारी इसकी जद में आते और बड़े घोटाले से पर्दा उठ जाता। घोटालों पर पर्दा पड़ा रहे इसलिए आग साजिशन लगाई गई।