न्यूज डेस्क
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के डॉक्टर वेदप्रकाश के खिलाफ छह संविदा कर्मियों ने जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया है। संविदा कर्मियों का आरोप है कि डॉक्टर ने नियमित करने के नाम पर उनसे 18 लाख रुपये लिए। इसके बाद भी उन्होंने किसी को भी नियमित नहीं करवाया। समय बीतने पर पीड़ितों ने उनसे रुपये वापस मांगे तो वह टाल-मटोल करने लगे।
हालांकि डॉ. वेद ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। उनका कहना है कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच करती है, लेकिन इस मामले में मुझसे कोई भी संपर्क नहीं किया गया है। मैं एफआईआर दर्ज करवाने वाले कर्मचारियों को भी नाम से नहीं जानता हूं। यह मेरी छवि खराब करने के लिए मेरे खिलाफ की गई एक साजिश है।
इंस्पेक्टर चौक विश्वजीत सिंह ने बताया कि डॉक्टर के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में खयानत की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। संविदा कर्मचारी अशोक कुमार, राम विलास मौर्य, महेश, इम्तियाज हुसैन, विजय कुमार और रहीम बख्श ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2016 में डॉ. वेद प्रकाश ने उन लोगों को नियमित करने के बदले 23 लाख रुपये लिए थे।
पीड़ित कर्मचारियों का आरोप है कि डॉ. वेद ने 25 लाख रुपये की डिमांड की थी, लेकिन बातचीत में सौदा 23 लाख रुपये में तय हुआ था। डॉ. वेद जब किसी को नियमित नहीं कर सके तो नोटबंदी के दौरान उन्होंने उनको 18 लाख रुपये के पुराने नोट देकर नए करवाने के बाद नियमित करवाने की बात कही।
पीड़ितों ने किसी तरह पुराने नोट बदलवा कर 18 लाख के नए नोट डॉ. वेद को दिए। इसके बावजूद उन लोगों में से कोई भी नियमित नहीं हुआ। पीड़ितों ने रुपये वापसी के लिए काफी प्रयास किया तो डॉक्टर ने किसी तरह उन लोगों को पांच लाख रुपये वापस किए।
पीड़ितों का कहना है कि डॉ. वेद ने खुद को तत्कालीन वीसी रविकांत का करीबी बताते हुए संविदा कर्मचारियों को नियमित करवाने का आश्वासन दिया था। उस समय डॉ. वेद उप चिकित्सा अधीक्षक थे।