न्यूज डेस्क
नागरिकता संसोधन कानून सीएए को लेकर पिछले कुछ दिनों से देश में विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है। इसके विरोध में कई जगह हिंसक प्रदर्शन हुए। पूरे देश में अब तक हजारों लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ सीएए की चर्चा है। वहीं व्यापार जगत की प्रभावशाली अंग्रेजी न्यूज पेपर फाइनेंशियल टाइम्स ने अपने संपादकीय में इसी मुद्दे को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत में दूसरे आपातकाल का खतरा मंडरा रहा है।
इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई को अखबार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दमनकारी रणनीति बताया गया है। गौरतलब है कि द गार्जियन के विपरीत फाइनेंशियल टाइम्स ( एफटी) भारत में अपनी रिपोर्टिंग को लेकर अधिक संयमित रहता है। इसके उलट गार्जियन भारत में चल रही हर चीज के बारे में एक वामपंथी विचार रखता है। अखबार शुरू से ही नरेंद्र मोदी सरकार का कठोर आलोचक रहा है।
फाइनेंशियल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है, ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस साल एक पार्टी रैली में नया भारत या न्यू इंडिया बनाने की बात कही। हालांकि भारत के कई नागरिक इस बात से चिंतित हैं कि यह नया भारत किस दिशा में ले जा रहा है।’ अखबार में आगे कहा गया कि मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करने वाले संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में विरोध फैल गया है। इंदिरा गांधी ने करीब 35 साल पहले जिस रास्ते पर चलकर आपातकाल की घोषणा की थी, उसी रास्ते पर सरकार की प्रतिक्रिया गूंजती है।
अखबार ने लिखा है, ‘देशव्यापी प्रदर्शन दर्शाते हैं कि भारतीय नागरिक धर्मनिरपेक्षता को लेकर चिंतित रहते हैं, इसके बावजूद बीजेपी ने इसे बदनाम करने की कोशिश की। नागरिकता कानून बस हिंदू राष्ट्र का प्रदर्शनभर है।’
फाइनेंशियल टाइम्स ने आगे लिखा है, ‘जम्मू-कश्मीर में अगस्त माह में विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान को निरस्त कर दिया और इस प्रदेश से राज्य का दर्जा छीनकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। देश के एकमात्र मुस्लिम प्रदेश में संचार व्यवस्था आज भी सीमित है। भाजपा की योजना अब एनआरसी यानी नागरिक रजिस्टर पंजी. बनाने की है जो उन सभी की नागरिकता रद्द कर देगा जिसके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। इसका मतलब है कि ये लाखों को स्टेटलेस बना देगा। इसमें बहुत से मुस्लिम होंगे।’
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