जुबिली न्यूज़ डेस्क
कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। इस महामारी ने दुनियाभर की आर्थिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचाया है। भारत में भी इस महामारी ने देश की आर्थिक स्थितियों की कमर तोड़ दी है। जी हां भारत सरकार की कुल देनदारियां बढ़कर जून के अंत तक बढ़कर 101.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गईं। इसकी जानकारी सार्वजनिक ऋण पर जारी नवीनतम रिपोर्ट में दी गई है।
जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 के अंत में यह 94.6 लाख करोड़ रुपये पर थीं। जबकि पिछले साल यानी जून 2019 में सरकार का कुल कर्ज 88.18 लाख करोड़ रुपये था। शुक्रवार को जारी त्रैमासिक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2020 के अंत में सरकार के कुल बकाए में सार्वजनिक ऋण का हिस्सा 91.1 फीसदी था।
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बकाया दिनांकित प्रतिभूतियों के लगभग 28.6 फीसदी की परिपक्वता की शेष अवधि पांच साल से कम समय की रह गई है।
आलोच्य अवधि तक इसमें वाणिज्यिक बैंकों की हिस्सेदारी 39 प्रतिशत और बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी 26.2 प्रतिशत तक थी। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान 3,46,000 करोड़ रुपये की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी कीं, जोकि एक साल पहले इसी अवधि में 2,21,000 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां जारी की गई थी।
सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ (पीडीएमसी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में नए इश्यू की औसत भारित परिपक्वता 16.87 वर्ष थी, जो अब कम होकर 14.61 वर्ष पर आ गई। वहीं केंद्र सरकार ने अप्रैल-जून 2020 के दौरान नकद प्रबंधन बिल जारी कर 80,000 करोड़ रुपये जुटाए।