Wednesday - 30 October 2024 - 3:03 PM

वित्त मंत्री ने माना, मुश्किल दौर से गुजर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था

न्यूज डेस्क

भारत में आर्थिक मंदी पर लगातार चिंता व्यक्त की जा रही है। देश के तमाम अर्थशास्त्री कई महीने पहले ही गिरती अर्थव्यवस्था पर चिंता व्यक्त किए थे और उन लोगों ने सरकार को आगाह भी किया था कि इस दिशा में जल्द सुधार होने की भी गुंजाइश नहीं है। अर्थशास्त्रियों के आगाह करने के बाद भी सरकार मानने को तैयार नहीं थी कि देश की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है।

फिलहाल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अब मान लिया है कि विश्व के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है।
अर्थव्यवस्था में कितनी सुस्ती है और यह किन वजह से हो रही है, इस पर चिंतन करने की जरूरत है।

यह बातें वित्त मंत्री सीतारमण ने एक किताब का विमोचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इसको पढऩे के बाद लोगों को सही मायनें में पता चलेगा कि क्या कारण हैं, जिनसे ऐसा देखने को मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत की विकास दर छह साल के सबसे निचले स्तर पर जून में पहुंच गई थी। यह पांच फीसदी के स्तर पर रही। मांग में कमी के साथ ही निजी निवेश और वैश्विक बाजारों में व्यापार युद्ध के असर के चलते ऐसा देखने को मिला।

गौरतलब है कि आरबीआई ने अक्टूबर माह में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए विकास दर का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर के 6.1 फीसदी कर दिया था। भारतीय रिर्जव बैंक ने अनुमान लगाया था कि विकास दर वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में तेजी पकड़ेगी।

वहीं सरकार ने सुस्ती को कम करने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कमी, सरकारी बैंकों में पूंजी निवेश और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का फंड तैयार किया था, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आ सके।

मूडीज ने भी घटाया था आउटलुक

वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख यानी क्रेडिट रेटिंग आउटलुक नकारात्मक कर दिया। इसे साख को घटाने की दिशा में पहला कदम माना जाता है। मूडीज ने भले ही कहा कि सरकार आर्थिक कमजोरी का हल निकालने में आंशिक तौर पर कामयाब रही है, लेकिन आगे विकास दर नीचे रहने का जोखिम बढ़ गया है।

मूडीज ने विदेशी मुद्रा रेटिंग को बीएए2 को बरकारर रखा, लेकिन मार्च 2020 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में 3.7 फीसदी राजकोषीय घाटा रहने का अनुमान जाहिर किया। वहीं सरकार का अनुमान 3.3 फीसदी राजकोषीय घाटे का है। माना जा रहा है कि सुस्त विकास दर और कॉरपोरेट कर में कटौती के चलते राजस्व घटने से राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर सरकार को झटका लग सकता है।

नोमुरा का सबसे कम आंकलन

जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने भारत की विकास दर के अनुमान को घटा दिया है। नोमुरा ने कहा है भारत की चालू वित्त वर्ष में विकास दर (जीडीपी) 4.9 फीसदी रहेगी। फिलहाल भारत की अर्थव्यवस्था काफी सुस्ती के दौर से गुजर रही है, जिसके कारण पहले के अनुमान से अब कटौती की गई है। इससे पहले नोमुरा ने विकास दर के 5.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

गौरतलब है कि जहां आरबीआई ने विकास दर के 6.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, वहीं अब नोमुरा का अनुमान सबसे कम हो गया है। 8 नवंबर को ही रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की अर्थव्यवस्था का आउटलुक पॉजिटिव से निगेटिव किया था। जून तिमाही में अर्थव्यवस्था ने पांच फीसदी विकास दर हासिल की थी, जो पिछले छह सालों में सबसे कम रही थी।

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