न्यूज डेस्क
‘बस एक थप्पड़ ही तो था। क्या करूं? हो गया ना।’ ज्यादा जरूरी सवाल है ये है कि ऐसा हुआ क्यों? बस इसी ‘क्यों’ का जवाब तलाशती है अनुभव सिन्हा की ये फिल्म थप्पड़। जी हां अनुभव सिन्हा की फिल्म थप्पड़ इस शुक्रवार बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने के लिए तैयार है। इस फिल्म के ट्रेलर को देख कर आपको फिल्म की कहानी का अंदाजा तो लग ही गया होगा।
फिल्म की कहानी घेरलू हिंसा के इर्दगिर्द घूमती है। दरअसल फिल्म में एक्ट्रेस की भूमिका के रूप में तापसी पन्नू हैं जोकि कैसे अपने पति विक्रम के प्रति समर्पित दिखाई दे रही हैं। अपने पति के ख्वाबों को पूरा करने के लिए तापसी (अमृता) जी जान लगा देती हैं लेकिन इस बीच कुछ ऐसा हो जाता है जिससे दोनों अलग होने के फैसला कर लेते हैं।
एक पार्टी में सबके सामने अचानक पति के थप्पड़ से अमृता के सारे सपने चकनाचूर हो जाते हैं। और फिर शुरू होती है इस ‘थप्पड़’ की कहानी। ये थप्पड़ अचानक से होता है। पति किसी बात पर परेशान होता है, तो लोग उसे घेरकर खड़े हो जाते हैं। बाकी लोग हैरान हैं क्योंकि ये सब मेहमानों के सामने हुआ। सब आगे बढ़ जाते हैं और फिर उन्हें एहसास होता है कि अमृता इस घटना से आगे नहीं बढ़ी है!
अनुभव सिन्हा की ‘थप्पड़’ एक ऐसी महिला की कहानी है जो इसे भूलकर आगे नहीं बढ़ पाती हैं। वो मानती है कि ये थप्पड़ सिर्फ गुस्से में किया गया एक फिजिकल एक्ट नहीं, बल्कि इससे ज्यादा है। ये एक टॉक्सिक मेंटालिटी का हिस्सा है जिसमें इन ‘छोटी बातों’ का शादी पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
बस फिर क्या अमृता अपने पति के बर्ताव को सहने से मना कर देती है, तो उसके इस फैसले को कई नजरियों से देखा जाने लगता है। ‘एक थप्पड़? एक थप्पड़ ही तो है।’ धीरे धीरे अमृता उन सभी को समझाने में सफल होती है कि ये कभी इस बारे में नहीं था कि उसे कितनी बार मारा गया या हिंसा कितनी खतरनाक थी, बल्कि ये इस बारे में है कि ये हुआ… इतने नॉर्मल तरीके से।
बात करें अनुभव सिन्हा की तो फिल्म में उनकी पकड़ काफी अच्छी नजर आ रही है। ऑडियंस की तरह, अमृता के आस-पास हर कोई धीरे-धीरे स्थिति को समझने के साथ ही अपनी प्रतिक्रिया देने की कोशिश करता दिखाई देने लगता है।
वहीं अभिनय में तापसी का कोई जवाब ही नहीं वो अपने किरदार को बहुत ही अच्छे से निभाती हैं फिर चाहे वो इमोशनली और फिजिकली हो। अपने पिता (कुमुद मिश्रा) के साथ तापसी का रिश्ता और उनके बीच के पल, फिल्म के सबसे खूबसूरत पलों में से एक हैं। खुद एक शानदार परफॉर्मर, कुमुद मिश्रा, पिता के रोल में जंच रहे हैं।
अमृता के पति के रोल में पावेल गुलाटी का भी काम खूब पसंद किया जा रहा है। उसने गलत किया है, लेकिन वो एकदम ब्लैक कैरेक्टर नहीं है, ऐसे में फिल्म में जो परेशानी दिखाई गयी है, वो कैरेक्टर को रिलेटेबल बनाती है। इनके अलावा फिल्म में माया सरो, रत्ना पाठक शाह, गीतिका विद्या ओहल्यान, तन्वी आजमी, दिया मिर्जा, मानव कौल और रम कपूर की एक्टिंग भी शानदार है।
ये ‘थप्पड़’ कुछ और इसी तरह के जरूरी मुद्दों को लेकर कई सवाल खड़े करती है एक परिवार को जोड़कर रखने के लिए क्या चाहिए? क्या सभी गलत बातों को चुपचाप सह लेना चाहिए? और क्या इसकी जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की है?