जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. चीन, जर्मनी, फिनलैंड, पोलैंड, सिंगापुर और पाकिस्तान के बाद भारत भी अब उन देशों में शामिल हो गया है जहाँ के हाइवे और एक्सप्रेस वे का इस्तेमाल ज़रूरत पड़ने पर वायुसेना कर सकती है. हाइवे और एक्सप्रेस वे पर युद्धक विमानों को उतारे जाने लायक बनाने के पीछे असली वजह यह हाई कि जब भी किसी देश से युद्ध छिड़ता है तो दुश्मन देश सबसे पहले उस देश के एयरफ़ोर्स स्टेशन के रनवे को निशाना बनाता है ताकि वह देश युद्ध के दौरान अपने युद्धक विमानों का इस्तेमाल ही न कर पाए और लड़े बगैर ही हार जाए.
युद्ध के दौरान युद्धक विमानों को हर हाल में उड़ाने के लिए देश की सड़कों को इस लायक बनाने की कल्पना की गई. उत्तर प्रदेश के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर जब फाइटर प्लेन उड़ान भरते और लैंड करते नज़र आये थे तो कुछ लोगों को यह सरकार की फिजूलखर्ची लगी होगी लेकिन अब देश के कई राज्यों में ऐसे हाइवे और एक्सप्रेस वे तैयार किये जा रहे हैं जिन पर दो से तीन किलोमीटर ऐसे हों जो युद्धक विमानों के लिए रनवे का काम करें. सड़क के इस हिस्से को रक्षा मंत्रालय की मदद से रनवे विशेषज्ञ इंजीनियरों की देखरेख में तैयार करवाया जाता है.
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जिसे 16 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों लोकार्पित किया जा रहा है इसे भी युद्धक विमान लैंड कराकर कसौटी पर कस लिया गया है. इसके साथ ही देश के 21 हाइवे और एक्सप्रेस वे युद्धक विमानों के रनवे के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए चिन्हित कर लिए गए हैं. रक्षा मंत्रालय ने इनका निरीक्षण करवा लिया है और परिवहन मंत्रालय ने भी इसे हरी झंडी दे दी है.
यूपी में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे के अलावा यमुना एक्सप्रेस वे को भी युद्धक विमानों के रनवे के तौर पर इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है. इसके बाद सरकार मुरादाबाद एक्सप्रेस को भी रनवे के तौर पर इस्तेमाल लायक परखने की तैयारी में है. इन सभी सड़कों पर आम दिनों में सामान्य वाहन ही चलेंगे लेकिन इमरजेंसी में यह युद्धक विमानों के रनवे में बदल जायेंगे.
देश के कई राज्यों खासकर पश्चिम बंगाल, जम्मू, गुजरात, छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु और राजस्थान के हाइवे पर भी वायुसेना के विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग और टेकऑफ की व्यवस्था की जा रही है. वायुसेना के इंजीनियरों ने सड़कों का चयन भी कर लिया है.
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