जुबिली न्यूज़ डेस्क।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से राज्य की मुख्यधारा के नेता नजरबंद हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है।
फारूक अब्दुल्ला को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है। इस कानून के तहत उन्हें दो साल तक बिना किसी सुनवाई के हिरासत में रखा जा सकता है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक अब्दुल्ला उस समय से नजरबंद हैं, जब पांच अगस्त को केंद्र ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया था।
बता दें कि अब्दुल्ला पीएसए के तहत हिरासत में हैं। अब्दुल्ला पर रविवार को सख्त कानून लगाया गया। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन को पूर्व मुख्यमंत्री को एक अदालत के सामने पेश करने वाली याचिका पर जवाब देने को कहा तो इसका खुलासा हुआ।
तमिलनाडु के एमडीएमके नेता वाइको की ओर से दायर याचिका में अब्दुल्ला को रिहा करने की मांग की गयी है ताकि वह चेन्नई में एक कार्यक्रम में हिस्सा ले सकें।
बता दें कि अब्दुल्ला के बेटे व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तथा पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को भी पांच अगस्त से हिरासत में रखा गया है।
क्या है सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए)
सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत सुरक्षा कारणों को देखते हुए सरकार किसी भी व्यक्ति को दो साल तक नजरबंद कर सकती है। यह कानून साल 1978 में फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला द्वारा घाटी में लागू किया था। इस दौरान शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे।
तत्कालीन सरकार द्वारा इस कानून को लाने का मुख्य मकसद लकड़ी की तस्करी को रोकना बताया गया था। इसके तहत किसी इलाके की सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के मद्देनजर वहां नागरिकों के आने-जाने पर पाबंदियां लगा दी जाती हैं। यह अधिनियम सरकार को अधिकार देता है कि वह ऐसे किसी भी व्यक्ति को, जोकि सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा हो, उसे हिरासत में ले सकती है।
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