प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. कृषि कानूनों के खिलाफ आन्दोलन कर रहे किसानों का आन्दोलन खत्म कराने के लिए सरकार साम, दाम, दंड, भेद की हर नीति अपनाने में लगी है. एक तरफ सरकार किसान नेताओं से बातचीत कर मामले का हल निकालने में लगी है तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के संभल के किसानों को पचास-पचास लाख मुचलका भरने की बात कहकर किसानों को डराने की कोशिश भी कर रही है.
दिल्ली बार्डर पर पहुंचे किसानों ने पहले दिन पुलिस की लाठियां और वाटर कैनन की मार सहने के बाद भी सरकार के साथ अपने हक़ के लिए लम्बी लड़ाई का एलान किया था. किसान अभी तक अपने रुख पर कायम नज़र आ रहे हैं. सरकार के साथ हुई पांच दौर की बातचीत और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक किसानों के इरादों को कमज़ोर नहीं कर पाई है.
उत्तर प्रदेश के संभल में छह किसान नेताओं पर किसानों को उकसाने और शांतिभंग की कोशिश का आरोप लगाते हुए उन्हें 50-50 लाख रुपये का मुचलका भरने को कहा गया. किसान नेताओं को इतनी भारी राशि का मुचलका भरने के मुद्दे पर हंगामा मचा तो सरकार बैकफुट पर आ गई. कहा गया कि गलती से पचास-पचास लाख लिख गया था. अब पचास हज़ार का दूसरा नोटिस भेजा जाएगा.
संभल के पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने बताया कि किसानों को जल्दी ही नया नोटिस भेजा जाएगा. एसडीएम दीपेन्द्र यादव ने बताया कि हमें जानकारी मिली है कि कुछ लोग किसानों को उकसा रहे हैं. इससे शान्ति भंग की आशंका है. इसी वजह से किसानों को नोटिस जारी किया गया है.
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उधर किसानों ने कहा कि हम अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं. हम यह मुचलका किसी सूरत में नहीं भरेंगे. चाहे हमें जेल हो या फांसी. हमने कोई गुनाह नहीं किया है जो हम मुचलका भरें. सरकार ने राजपाल सिंह यादव, जयवीर सिंह, ब्रह्मचारी यादव, सत्येन्द्र यादव, रैदास और वीर सिंह को मुचलका भरने को कहा है.
एक तरफ किसानों को धमकाया जा रहा है तो दूसरी तरफ कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों को पत्र लिखकर कृषि सुधार क़ानून के फायदे गिनाये हैं. कृषि मंत्री ने कहा है कि वह खुद भी किसान हैं. वो खेती की चुनौतियों को समझते हैं. मोदी सरकार किसानों को सशक्त करने की कोशिश कर रही है.