Monday - 28 October 2024 - 11:51 AM

किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी पर क्यों उठ रहे हैं सवाल

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए चार सदस्‍यी कमेटी का किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि कमेटी कोई मध्यस्थ्ता कराने का काम नहीं करेगी, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाएगी।

कमेटी कानून का समर्थन और विरोध कर रहे किसानों से बात करेगी। दोनों पक्ष को सुना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसान समस्या का हल चाहते हैं तो उन्हें कमेटी में पेश होना होगा।

Farmers Protest : Supreme Court Proposes To Stay Implementation Of Farm Laws- Live Updates

किसानों से बात करने के बाद ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी, जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी। कोर्ट के इस फैसले के बाद किसान इसे अपनी जीत बता रहे हैं।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई इस कमेटी पर सवाल भी उठने लगे हैं। दरअसल, सुप्रीम की ओर से बनाई गई कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी शामिल हैं।

Farmers' protests: SC suspends implementation of three farm laws till further orders, forms panel

सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपिंदर सिंह मान को भी शामिल किया है। आंदोलन कर रहे किसान संगठन की माने तो भूपिंदर सिंह मान पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संगठन क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल ने बुधवार को कहा कि मैं भूपिंदर सिंह मान को जानता हूं, वो पंजाब से हैं और वह कृषि मंत्री से मिलकर कानून का समर्थन कर चुके हैं।

 

पिछले महीने, यानि 14 दिसंबर को उन्‍होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक खत लिखकर कुछ मांगें सामने रखी थीं। इस खत में उन्‍होंने लिखा था, ‘आज भारत की कृषि व्‍यवस्‍था को मुक्‍त करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में जो तीन कानून पारित किए गए हैं हम उन कानूनों के पक्ष में सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं। हम जानते हैं कि उत्‍तरी भारत के कुछ हिस्‍सों में एवं विशेषकर दिल्‍ली में जारी किसान आंदोलन में शामिल कुछ तत्‍व इन कृषि कानूनों के बारे में किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।’

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सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत भी शामिल हैं। किसान संगठन शेतकारी संगठन की शुरुआत स्वर्गीय शरद जोशी ने की थी। बीते दिनों अनिल घनवंत ने कहा था कि सरकार किसानों के साथ विचार-विमर्श के बाद कानूनों को लागू और उनमें संशोधन कर सकती है। हालांकि, इन कानूनों को वापस लेने की आवश्यकता नहीं है, जो किसानों के लिए कई अवसर को खोल रही है।

शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत की ही तरह कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी भी तीनों कृषि कानूनों के पक्ष में रहे हैं। 1991 से 2001 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार काउंसिल के सदस्य रहे अशोक गुलाटी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि इन तीनों कानून से किसानों को फायदा होगा, लेकिन सरकार यह बताने में कामयाब नहीं रही। उन्होंने कहा था कि किसान और सरकार के बीच संवादहीनता है, जिसे दूर किया जाना चाहिए।

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वहीं, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी ने हाल में एक ट्वीट करके कहा था, ‘हमें MSP से परे, नई मूल्य नीति पर विचार करने की आवश्यकता है। यह किसानों, उपभोक्ताओं और सरकार के लिए एक जैसा होना चाहिए, एमएसपी को घाटे को पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया था। अब हम इसे पार कर चुके हैं और अधिकांश वस्तुओं में सरप्लस हैं। सुझावों का स्वागत है।’

इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि वे किसानों के साथ बातचीत करने के बाद तय करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास जाएंगे या नहीं। किसान नेता टिकैत ने आगे कहा कि यदि सरकार ने जबरदस्ती किसानों को हटाने की कोशिश की तो इसमें दस हजार लोग मारे जा सकते हैं।

Rakesh Tikait BKU

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कोर्ट के आदेश के बाद कहा, ”हम किसानों की कमेटी में इसकी चर्चा करेंगे। 15 जनवरी को होने वाली किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत में भी शामिल होंगे। जो कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की है, उसमें बाद में बताएंगे कि जाएंगे या नहीं, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा। जब तक बिल वापस नहीं होगा, तब तक घर वापसी नहीं होगी।” उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसान परेड करके रहेगा।

राकेश टिकैत ने आगे कहा कि किसान यहां से अब कहीं नहीं जा रहा है। सरकार का आकलन है कि यहां हटाने पर एक हजार आदमी मारा जा सकता है। यह गलत आकलन है। यदि जबरन हटाने की कोशिश की गई तो यहां 10 हजार आदमी मारा जा सकता है। टिकैत ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट के आदेश से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। आंदोलन लंबा चलेगा। कोर्ट की तरफ से जारी समिति के नाम में सरकार से बातचीत कर रहे 40 संगठनों में से कोई भी नाम नहीं हैं।”

 

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