जुबिली न्यूज डेस्क
कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज भी जारी है। पंजाब के पूर्व सीएम और अकाली दल नेता प्रकाश सिंह बादल के पद्म सम्मान लौटाने के बाद पंजाब की म्यूजिक और फिल्म इंडस्ट्री भी किसानों के साथ आ गई है। इधर दिल्ली सीमा पर अब किसानों को राजनीतिक दलों से समर्थन मिलने लगा है। आज टीएमसी की बंगाल में बैठक है, जिसमें कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन पर मंथन होगा।
लगातार बढ़ते विरोध के बीच सरकार MSP पर नरम रुख अपना सकती है। बीते दिन सरकार के साथ हुई चौथे दौर की चर्चा में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला, लेकिन एक और दौर की बात होना तय हुआ। अब आज किसान संगठन आपस में बैठक कर आगे की रणनीति बनाएंगे।
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बता दें कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की गुरुवार को हुई बैठक भी बेनतीजा रही। लगभग आठ घंटे चली इस बैठक में किसान नेता नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। किसान नेताओं के बातचीत के बीच में सरकार की तरफ से की गई दोपहर के भोजन, चाय और पानी की पेशकश को भी ठुकरा दिया।
बताया जा रहा है कि 11:00 बजे सिंधु बॉर्डर पर किसान नेताओं की बैठक शुरू होगी। इसमें बाकी नेताओं और किसानों को बताया जाएगा कि कल की बैठक सरकार ने उनके सामने क्या-क्या बातें रखी हैं। साथ ही आगे की रणनीति पर मंथन होगा, क्योंकि 5 दिसंबर को फिर सरकार के साथ बैठक है।
कल रात को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से एक बयान भी जारी किया गया था। किसानों ने बयान में कहा था की मीटिंग में सरकार के साथ किसान तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी गारंटी कानून बनाने की बात पर अड़े रहे।
इन मुद्दों पर है मतभेद
1-कृषि बाजार और कंट्रैक्ट फार्मिंग पर कानून से बड़ी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा।
-कृषि खरीद पर नियंत्रण हो जाएगा।
-कानून के कारण निजी कृषि बाजार के बन सकती है और वो मूल्यों को नियंत्रित कर सकते हैं।
-कृषि उत्पादों की सप्लाई और मूल्यों पर भी नियंत्रण हो सकता है।
-इसके जरिए भंडारण, कोल्ड स्टोरेज और फसलों के ट्रांसपोटेशन पर भी नियंत्रण होने की आशंका और इसके जरिए फूड प्रोसेसिंग पर एकाधिकार का डर।
-नए कानून से मंडी सिस्टम के खत्म हो जाएगी
2-आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन से जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग को बढ़ावा मिलेगा।
-सभी शहरी और ग्राणीण गरीबों को बड़े किसानों और निजी फूड कारपोरेशन के हाथों में छोड़ देना होगा।
3-कृषि व्यापार फर्म्स, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, ऐक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर अपने हिसाब से बाजार को चलाने की कोशिश करेंगे। इससे किसानों को नुकसान होगा।
4-कंट्रैक्ट फार्मिंग वाले कानून से जमीन के मालिकाना हक खतरे में पड़ जाएगा। इससे कंट्रैक्ट और कंपनियों के बीच कर्ज का मकड़जाल फैलेगा। कर्ज वसूलने के लिए कंपनियों का अपना मैकनिजम होता है।
5-किसान अपने हितों की रक्षा नहीं कर पाएंगे। ‘फ्रीडम ऑफ च्वाइस’ के नाम पर बड़े कारोबारी इसका लाभ उठाएंगे।
6-इस कानून में विवादों के निपटारा के लिए SDM कोर्ट को फाइनल अथॉरिटी बनाया जा रहा है। किसानों की मांग है कि उन्हें उच्च अदालतों में अपील का अधिकार मिलना चाहिए।
7-कृषि अवशेषों के जलाने पर किसानों को सजा देने को लेकर भी किसानों में रोष है। किसानों का कहना है कि नए कानून में किसानों को बिना आर्थिक तौर पर मजबूत किए नियम बना दिए गए हैं।
8-प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) कानून के कारण किसानों को निजी बिजली कंपनियों के निर्धारित दर पर बिजली बिल देने को मजबूर होना पड़ेगा।
किसानों के लगातार जारी प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने अपने सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए हैं और शहर में प्रवेश और निकास के लिए वैकल्पिक मार्गों से आवागमन करने का सुझाव दिया है। आंदोलनरत किसानों ने बुधवार को मांग की कि केन्द्र संसद का एक विशेष सत्र बुलाए और कृषि कानूनों को वापस ले। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने दिल्ली में अन्य मार्गों को जाम करने और ‘अतिरिक्त कदम उठाने’ की धमकी दी है।
Traffic Alert
The Gazipur border on on NH 24 is closed for traffic from Gaziabad to Delhi due to farmers protests . People are advised to avoid NH 24 for coming to Delhi and use Apsara/ Bhopra/DND for coming to Delhi.
— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) December 4, 2020
दिल्ली यातायात पुलिस ने शुक्रवार सुबह अनेक ट्वीट करके लोगों को किसान आंदोलन के कारण सिंघु, लामपुर, औचंदी, चिल्ला और अन्य बॉर्डर के बंद होने की जानकारी दी। इसमें हिदायत की गई कि हरियाणा जाने वाले लोग ढांसा, दौराला, कापसहेड़ा, रजोकरी एनएच8, बिजवासन/बजघेड़ा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर वाला रास्ता ले सकते हैं।
Traffic has been diverted from Mukarba & GTK road.
Avoid Outer Ring Rd , GTK road, NH 44— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) December 4, 2020
शहर की यातायात पुलिस ने ट्वीट किया, ‘सिंघु बॉर्डर अब भी दोनों ओर से बंद है। लामपुर, औचंदी और अन्य छोटे बॉर्डर भी बंद हैं। कृपया वैकल्पिक माार्गों का सहारा लीजिए। मुकरबा चौक और जीटीके रोड से यातायात परिवर्तित किया गया है।’ इसमें यह भी कहा गया है कि एनएच-44 भी दोनों ओर से बंद है।
ट्रैफिक पुलिस ने लोगों को दिल्ली-नोएडा लिंक रोड से बचने और राष्ट्रीय राजमार्ग 24 और डीएनडी से जाने की सलाह दी है। ट्वीट में कहा गया है कि गौतमबुद्ध नगर के नजदीक किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए नोएडा लिंक रोड पर चिल्ला बॉर्डर बंद है और लोगों को दिल्ली आने-जाने के लिए नोएडा लिंक रोड से बचना चाहिए और डीएनडी वाला रास्ता चुनना चाहिए।
Available Open Borders to Haryana are following Borders
Dhansa, Daurala, Kapashera, Rajokri NH 8, Bijwasan/Bajghera, Palam Vihar and Dundahera Borders— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) December 4, 2020
एक अन्य ट्वीट में कहा गया है कि टिकरी, झाडौदा बॉर्डर यातायात के लिए बंद हैं। बदूसराय बॉर्डर कार और दो पहिया जैसे हल्के वाहनों से लिए खुला है। झटिकरा बॉर्डर केवल दोपहिया वाहनों के लिए खुला है। दिल्ली पुलिस ने बताया है कि हरियाणा के लिए जो बॉर्डर खुले हैं, वे हैं- धनसा, दौराला, कपसहेरा, राजोखरी NH 8, बिजवासन / बजघेरा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर।
वहीं, ए्क अन्य ट्वीट में कहा गया है कि एनएच-24 पर स्थित गाजीपुर बॉर्डर भी गाजियाबाद से दिल्ली के लिए बंद है। पुलिस ने लोगों को एनएच-24 से बचने की सलाह दी है। गौरतलब है कि ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत किसान राष्ट्रीय राजधानी के अति व्यस्त सिंघु, टिकरी, नोएडा और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं।