जुबिली स्पेशल डेस्क
किसान आंदोलन और तेज हो गया है। सरकार जल्द से जल्द इस विवाद का खत्म करना चाहती है। इसके लिए कई दौर की बातचीत भी हुई। हालांकि बातचीत में अभी तक कोई हल नहीं निकला है।
किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार है। उधर किसानों के आंदोलन को लेकर विदेशों में चर्चा देखने को मिल रही है।
हाल ही में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बयान दिया था जिस पर भारत ने कड़ा एतराज जताया थ, बावजूद इसके कनाडा के प्रधानमंत्री ने एक बार फिर अपने पुराने रुख को ही कायम रखा है।
कनाडा के बाद 36 ब्रिटिश सांसदों ने किया किसान आंदोलन का समर्थन कर डाला है। ब्रिटेन के लेबर पार्टी के सांसद तन्मनजीत सिंह धेसी के नेतृत्व में 36 ब्रिटिश सांसदों ने राष्ट्रमंडल सचिव डोमिनिक राब को एक पत्र लिखा है।
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इस पत्र में कहा गया है कि पंजाबी समुदाय को राज्य की आर्थिक संरचना की रीढ़ माना जाता है, इसमें पंजाब में बिगड़ती स्थिति और केंद्र सरकार के साथ इसके संबंधों पर चर्चा करने के लिए भी रैब से आग्रह किया, धेसी ने एक ट्वीट में कहा, कई राज्यों विशेष रूप से पंजाब से आने वाले लोगों ने, भारत में कृषि कानून 2020 का विरोध कर रहे किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए सांसदों से संपर्क किया है।
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पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में लेबर, कंजरवेटिव और स्कॉटिश नेशनल पार्टी के पूर्व श्रम नेता जेरेमी कॉर्बिन, वीरेंद्र शर्मा, सीमा मल्होत्रा, वैलेरी वाज़, नादिया व्हिटोम, पीटर बॉटमली, जॉन मैककॉनेल, मार्टिन डॉकर्टी-ह्यूजेस और एलिसन थेवलिस शामिल हैं।
Farmers from the Punjab and across India are peacefully protesting against #FarmersBill2020.
Following our October meet, further discussions and given strong sense of injustice felt by many constituents, cross-party letter from British MPs has been sent to the Foreign Secretary. pic.twitter.com/l8aZWiekor
— Tanmanjeet Singh Dhesi MP (@TanDhesi) December 4, 2020
नए कृषि कानूनों के विरोध में देश के कई राज्यों से आए किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर बीते नौ दिनों से डेरा डाले हुए हैं।
शुरूआत में यहां पंजाब और हरियाणा से किसान आए थे, पर अब किसानों को उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के किसानों का भी समर्थन मिल रहा है।
अब देखना होगा कि क्या किसान आंदोलन और सरकार की अगली बातचीत में क्या इस मसले का कोई हल निकलेंगा या नहीं।
ब्रिटिश सरकार से की गई ये मांग
- पंजाब में बिगड़ते हालात और केंद्र के साथ इसके संबंध को लेकर एक जरूरी बैठक की मांग की गई है
- भारत में भूमि और खेली के लिए लंबे समय से जुड़े ब्रिटिश सिखों और पंजाबियों को लेकर भारतीय अधिकारियों के साथ आप बातचीत करें
- भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ राष्ट्रमंडल, विदेश और विकास कार्यालयों के जरिए बातचीत की जाए