जुबिली न्यूज डेस्क
26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर तीन कृषि कानून को रद्द किए जाने की मांग को लेकर धरने पर किसान बैठे है। इसको लेकर किसान और सरकार के बीच 10 बार बातचीत हो चुकी है पर अब तक कोई रास्ता नहीं निकला।
आज फिर किसान संगठन और सरकार दिल्ली के विज्ञान भवन में आमने-सामने होंगे। सरकार और किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के बीच शुक्रवार को 11वें दौर की बातचीत होने वाली है।
इससे पहले 10वें दौर की बातचीत में केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि किसान अगर विरोध वापस ले लें तो वो 18 महीनों के लिए कृषि कानूनों को निलंबित करेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार की शाम सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और कहा था कि कृषि कानूनों को वापस लेने से कम में वो नहीं मानेंगे।
किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि “आगे की बातचीत में हम सरकार को कहेंगे कि इन कानूनों को वापस कराना, एमएसपी पर कानूनी अधिकार लेना यही हमारा लक्ष्य है।”
उनका कहना था कि किसानों ने सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया है। हालांकि इसके बाद भारतीय किसान यूनियन के जगजीर सिंह डल्लेवाल ने कहा, “अभी इस तरह का कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है। हमारी बातचीत जारी है।”
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सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
बुधवार को कृषि कानूनों के मसले पर शीर्ष अदालत की ओर से बनाई गई कमेटी की आलोचना पर अदालत ने नाराजगी जताई थी। अदालत ने कहा था कि इस कमेटी के पास कृषि कानूनों के बारे में फैसला करने की कोई ताकत नहीं है, ऐसे में किसी तरह के पक्षपात का सवाल कहां उठता है।
अदालत बुधवार को किसान आंदोलन को लेकर दायर तमाम याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। किसान महापंचायत की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि किसानों की ओर से इस कमेटी को फिर से गठित करने की मांग रखी गई है। इस पर सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि वह कमेटी की आलोचना करने और इसकी छवि खऱाब करने से बेहद निराश हैं।
उन्होंने किसान महापंचायत के अधिवक्ता से कहा, ‘आप कमेटी को बदलना चाहते हैं। इसके पीछे क्या आधार है। कमेटी में शामिल लोग खेती को अच्छे से समझते हैं और आप उनकी आलोचना कर रहे हैं।’
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