जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. राज्य में सीमांत एवं छोटे किसानों को साहूकारों के आर्थिक शोषण से मुक्त कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का असर दिखने लगा है। सरकार के प्रयासों से अब सूबे के ग्रामीण साहूकारों के बजाए सहकारी बैंकों से ऋण लेने को प्राथमिकता देने लगे हैं। बीते चार वर्षों में सहकारी बैंकों के जरिए 60 लाख से अधिक किसानों ने 22,307.01 करोड़ रुपए का अल्पकालीन ऋण सहकारी बैंकों से लिया है।
सहकारिता विभाग के आंकड़ों से यह सच्चाई उजागर हुई है। यह भी पता चला है कि वर्ष 2017-18 से अब तक हर वर्ष सहकारी बैंकों से ऋण लेने किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2017-18 में 14.18 लाख किसानों ने सहकारी बैंकों से ऋण लिया था। वहीं वर्ष 2020-21 में 17.95 लाख किसानों ने सहकारी बैंकों से ऋण लिया है। सूबे में आसानी से ऋण मिलने के कारण ग्रामीण इलाकों के युवा नए नए कारोबार करने की हिम्मत करने लग गए हैं।
सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य के हर गांव में ग्रामीणों को सहकारिता का लाभ पहुंचाने में जुटी प्रदेश सरकार ने बैंकिंग का जाल बिछाकर युवाओं और किसानों को साहूकारों के चंगुल से बाहर निकाला है। जिसके तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में युवाओं को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए आसानी से सस्ता ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था ही गई।
सूबे के किसानों को ऋण प्राप्त करने के लिए दर-दर भटकना न पड़े, इसका भी प्रबंध किया गया। सरकार के ऐसे प्रयासों से अब ग्रामीणों को गांव में ही सीधे ऋण मिल रहा है। सहकारी बैंकों की शाखाएं, एटीएम और मोबाइल एटीएम वैन ऋण उपलब्ध कराने में किसानों का सहारा बनी हैं। किसानों के दरवाजे तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंची हैं और सीबीएस प्रणाली, एसएमएस एलर्ट जैसे अन्य अत्याधुनिक सेवाएं भी गांव में प्रत्येक व्यक्ति को मिलने लगी हैं।
इस व्यवस्था के तहत 14.18 लाख किसानों को वर्ष 2017-18 में 3908.04 करोड़ रुपए का अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराया गया, इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में 15.45 लाख किसानों को 5163.17 करोड़ रुपए, वर्ष 2019-20 में 16.75 लाख किसानों को 6150.21 करोड़ रुपए और 2020-21 में 17.95 लाख किसानों को 7085.59 करोड़ रुपए का अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराया गया।
सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2017-18 से अब तक कुल 64.33 लाख किसानों को 22,307.01 करोड़ रुपए अल्पकालीन ऋण के रूप में उपलब्ध कराए गए हैं और यह सिलसिला जारी है। किसानों को उपलब्ध कराए गये इस ऋण के कारण अब ग्रामीण खेती के लिये कृषि यंत्र तथा कृषि उपज बढ़ाने के लिये खाद और बीज आसानी से खरीद पा रहे हैं।
ग्रामीणों को ऋण आसानी से मिले इसके लिए प्रदेश कोआपरेटिव बैंक की ओर से जिला स्तर पर तथा 50 जिला सहकारी बैंकों की 1260 शाखाओं और 7479 प्रारंभिक कृषि सहकारी ऋण समिति (पैक्स) किसानों की मददगार की भूमिका में हैं। उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक की ओर से किसानों को कृषि यंत्रीकरण, पशुपालन, भूमि सुधार के लिए 323 शाखाओं के माध्यम से दीर्घकालीन ऋण वितरित किया जा रहा है।
इस व्यवस्था के तहत किसानों को अधिक लाभ पहुंचाने के लिये उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक की 27 शाखाएं और 50 जिला सहकारी बैंकों की 1260 शाखाएं सीबीएस प्रणाली का लाभ दे रही हैं। इसके माध्यम से किसानों को रुपे कार्ड, रुपे केसीसी, एसएमएस एलर्ट, सीटीएस अलर्ट, सीटीएस, ईसीएस क्रेडिट और डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफार्मर की सुविधा दी जा रही है।
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इसके अलावा ग्रामीणों को बैंकिंग की सेवाओं का लाभ देने के लिये 22 जिला सहकारी बैंकों की शाखाओं द्वारा 142 एटीएम का संचालन किया जा रहा है। सूबे के कोआपरेटिव बैंक और जिला सहकारी बैँकों द्वारा एटीएम सहित 42 मोबाइल वैन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा सूबे की सभी पैक्स में माइक्रो एटीएस स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि किसानों को भागदौड़ न करनी पड़े। किसानों को आसानी से खेती के कार्य तथा अन्य कारोबार के लिए ऋण प्राप्त करने के लिए की गई इस व्यवस्था से किसान साहूकारों के चंगुल से मुक्त हो गए हैं।