जुबिली स्पेशल डेस्क
किसान संगठनों ने आज 10 घंटे का बंद रखा है। किसान अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और ये बंद शाम चार बजे तक रहेगा।
किसान नेताओं की माने तो उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा लेकिन ये प्रदर्शन गांधीवादी तरीके से होगा । उनके अनुसा अब सरकार को तय करना है कि वो इस प्रदर्शन को बल प्रयोग से हटाते या नहीं।
किसानों ने सुबह 7 बजते ही पंजाब के मोहाली में एयरोसिटी रोड पर मुख्य सडक़ और ऊपर जा रही रेलवे लाइन को पूरी तरह से बंद कर दिया है।
इस वजह से आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ जाम के दौरान इमरजेंसी सेवाओं और एयरपोर्ट पर जाने वाले लोगों को रोका नहीं जा रह है उनको जाने की पूरी तरह से अनुमति है। उधर पंजाब बंद को देखते हुए पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी है।
पुलिस ने लोगों से वैकल्पिक मार्ग अपनाने के लिए कहा गया है। बंद को देखते हुए पंजाब में सडक़ और ट्रेन यातायात पर गहरा असर पड़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है।
कई ट्रेनों रूट बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। इसके अलावा पूरे पंजाब में करीब चार घंटे तक सरकारी बसें नहीं चलेंगी. 1 हजार से ज्यादा बसों के पहिए सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक पूरी तरह जाम रहेंगे।
आवश्यक सेवाओं पर प्रभाव: बंद के दौरान दूध, सब्ज़ियों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा आई, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
किसानों की क्या हैं मांगें
- MSP पर खरीद की गारंटी का कानून
- स्वामीनाथन आयोग के हिसाब से कीमत
- भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू हो
- आंदोलन में लगे मुकदमे वापस लिए जाएं
- किसानों का कर्जा माफ हो, पेंशन दी जाए
- फसल बीमा योजना का प्रीमियम सरकार दे
- मारे गए किसानों के परिजनों को नौकरी
- लखीमपुर कांड के दोषियों को सजा मिले
- मनरेगा में 200 दिन काम, 700 रु. मजदूरी
- नकली बीज-खाद पर सख्त कानून
- मसालों की खरीद पर आयोग का गठन
- भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार
- मुक्त व्यापार समझौते पर रोक लगाई जाए
किसानों की मांगें: किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का कार्यान्वयन, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का पूर्ण रूप से लागू होना, किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की वापसी, कर्ज माफी, पेंशन, और फसल बीमा योजना में सुधार जैसी 13 मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं।
समर्थन और विरोध: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों ने बंद का समर्थन किया, जबकि सरकार ने किसानों से बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की।