जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान लामबंद है। पिछले 11 दिन से दिल्ली बार्डर पर देश भर के किसान डेरा डाले हुए हैं। केंद्र सरकार से किसान नेताओं की कई चरण की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा न निकलने की वजह से कल किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है।
किसानों के आंदोलन को देश-विदेश हर जगह से समर्थन मिल रहा है। दिल्ली की सीमा पर, मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मंगलवार, 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। किसानों के इस भारत बंद को देश की कई राजनीतिक पार्टियों ने भी समर्थन दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, डीएमके चीफ एम के स्टालिन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, लेफ्ट फ्रंट के सीताराम येचुरी और डी राजा समेत भारत के 11 बड़े राजनेताओं ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है।
जब से यह कानून आया है तब से किसान इसका विरोध कर रहे हैं। राज्यों में किसानों के आंदोलन को सरकार द्वारा गंभीरता से न लेने के बाद किसानों ने दिल्ली आने का फैसला किया। किसान चाहते हैं कि सरकार इन कानूनों को वापस ले।
एक संयुक्त बयान जारी करते हुए, भारत की 11 राजनीतिक पार्टियों ने कहा है कि मोदी सरकार ने ‘गैर-लोकतांत्रिक तरीके सेÓ इन कानूनों को संसद में पास किया जिनपर कोई चर्चा नहीं की गई।
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इन राजनीतिक पार्टियों ने अपने बयान में दावा किया है कि इससे भारत में खाद्य संकट बढ़ेगा, किसानों की परिस्थितियां और बिगड़ जायेंगी, साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ना मिलने की वजह से भारतीय कृषि क्षेत्र की दशा बिगड़ेगी।
वहीं तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, अकाली दल, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के सहयोगी – असम गण परिषद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है। हालांकि, संयुक्त बयान पर इन पार्टियों के नेताओं के हस्ताक्षर नहीं हैं।
Rashtriya Loktantrik Party supports the call for ‘Bharat Bandh by farmers’. The PM should take back the farm laws. We will take a decision on whether RLP will stay in NDA or not after December 8: Hanuman Beniwal, RLP leader and MP from Rajasthan pic.twitter.com/K5dRAIHm1s
— ANI (@ANI) December 6, 2020
किसानों के समर्थन में आई कांग्रेस ने कहा है कि 8 दिसंबर को पार्टी भारत के हर जिले में प्रदर्शन करेगी। पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी किसानों की मांगों का समर्थन किया है और कहा है कि केंद्र सरकार को किसानों की मांगे माननी चाहिए।
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मालूम हो कि 26 नवंबर को किसानों के आंदोलन की शुरुआत हुई थी। मोदी सरकार का मानना है कि किसानों को नये कृषि
कानूनों पर भटकाया गया है। सरकार कहती रही है कि बातचीत से किसानों के ‘सभी भ्रम दूर’ किये जा सकते हैं।
किसान संगठनों से जुड़े लोगों और केंद्र सरकार के बीच पांच चरण की बातचीत हो चुकी है। छठे चरण की बातचीत बुधवार, 9 दिसंबर को होनी है। दोनों पक्षों के बीच अब तक की बातचीत बेनतीजा रही है।