जुबिली स्पेशल डेस्क
दिल्ली के सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले एक साल से डटे किसानों ने आखिरकार गुरुवार को आंदोलन ख़त्म करने का ऐलान कर दिया है। जानकारी के अनुसार 11 दिसंबर से सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत तमाम जगहों से किसान घर वापसी शुरू कर देंगे। इसके बाद 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को पहुंच जाएंगे।
केंद्र सरकार की ओर से बुधवार की शाम एमएसपी, मुआवजा और मुकदमा समेत कई मुद्दों पर किसानों की मांगें माने जाने के बाद यह स्थिति बनी है। किसान संगठनों की प्रतिनिधि संस्था संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में केंद्र सरकार के नए प्रस्ताव पर राजी होने पर सहमति बनी है। इसके साथ ही अब 14 महीनों से चला आ रहा किसानों का आंदोलन समाप्त हो गया है।
किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा
बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा अहंकारी सरकार को झुका कर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ स्थगित हुआ है. मोर्चे खत्म हो रहे हैं. 11 दिसम्बर से घर वापसी होगी. राजेवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा बरकरार रहेगा। हर महीने 15 तारीख को बैठक होगी। किसानों के मुद्दे पर आंदोलन जारी रहेगा। चुनाव में उतरने सवाल पर कहा कि मोर्चा चुनाव नहीं लड़ेगा।
Protesting farmers receive a letter from Govt of India, with promises of forming a committee on MSP and withdrawing cases against them immediately
"As far as the matter of compensation is concerned, UP and Haryana have given in-principle consent," it reads pic.twitter.com/CpIEJGFY4p
— ANI (@ANI) December 9, 2021
सरकार और किसान संगठनों के बीच आखिर कैसे बनी बात
दरअसल किसानों और सरकार के बीच ट्रिपल एम यानी मुकदमा, मुआवजा और एमएसपी को लेकर पेच फंसा हुआ था। एमएसपी के सरकार ने समिति के गठन की बात कही है।
इसके अलावा हरियाणा की खट्टर सरकार ने मुआवजा अधिक देने की बात कही है, जिससे किसान राजी हो गए। मु्ख्य मसला मुकदमों का अटका था, जिसे लेकर सरकार ने तत्काल वापसी की बात कही है और अब किसान संगठन राजी हो गए हैं।
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मुआवजे को लेकर हरियाणा और यूपी सरकार की सैद्धांतिक सहमति से ही बात बन गई। सूत्रों के अनुसार हरियाणा सरकार आंदोलन के दौरान मृत किसानों के परिवार को ज्यादा मुआवजा देने के लिए तैयार है, लेकिन नौकरी के लिए नहीं। इस पर शुरुआती मतभेद के बाद हरियाणा के संगठन राजी हो गए हैं।
MSP पर किसानों ने भी दिखाया लचीला रुख
केंद्र सरकार ने जहां किसानों की कई मांगों को मान लिया है तो वहीं एमएसपी कानून बनाने तक धरना जारी रखने की जिद करने वाले किसान नेताओं ने भी लचीला रुख दिखाया है, जिसके चलते बात बन गई।
कमिटी में किसान प्रतिनिधियों के तौर पर केवल संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को ही शामिल कराने की शर्त किसान नेताओं ने छोड़ दी।
सरकार के वार्ताकारों ने दलील दी गई थी कि बिना पीएम से आदेश लिए इस पर कोई प्रस्ताव नहीं दिया जा सकता क्योंकि कमिटी का ऐलान खुद प्रधानमंत्री ने किया है। पंजाब के ज्यादातर संगठन सरकार के पहले प्रस्ताव पर ही तैयार थे, दूसरे प्रस्ताव को हरियाणा के संगठनों ने स्वीकार कर लिया।
किसान नेताओं ने क्या कहा?
किसान नेता योगेंद्र यादव ने टीवी चैनल एबीपी न्यूज से बातचीत में केंद्र सरकार की सराहना करते हुए कहा कि दूसरे प्रस्ताव में सारी चिंताएं दूर हो गई हैं। सर्वसम्मति से तय हुआ कि सरकार का प्रस्ताव मंजूर है। विश्वास है कि सरकार सारी प्रक्रिया शुरू कर देगी। औपचारिक चिट्ठी आने के बाद हम धरना खत्म करने का ऐलान कर देंगे।
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