प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. सरकार और किसानों के बीच साढ़े सात घंटे तक चली मैराथन बैठक बेनतीजा खत्म हो गई. पांच दिसम्बर को सरकार और किसान एक बार फिर बातचीत की टेबल पर होंगे. विज्ञान भवन में हुई यह बैठक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाई लेकिन बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई क्योंकि किसान पांच दिसम्बर को सरकार के साथ फिर बैठने को तैयार दिखे.
सरकार ने एमएसपी के ज़रिये किसानों को रिझाने की कोशिश की लेकिन किसान पूर्ण रोल बैक की मांग पर अड़े रहे. बैठक के दौरान किसानों ने सरकार का दिया चाय-नाश्ता और खाना यह कहकर ठुकरा दिया कि हम साथ लाये हैं. किसानों के साथ बैठक क्योंकि दोपहर 12 बजे से शुरू हुई थी इसलिए सरकार ने खाने की व्यवस्था की थी लेकिन किसानों ने अपने साथ लाया हुआ खाना ही खाया.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार के साथ कई मुद्दों पर चर्चा हुई है लेकिन यह लड़ाई क़ानून के पूर्ण रोल बैक की है. सरकार एमएसपी के अधिनियम में संशोधन के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों पर सरकार का रुख ठीक रहेगा उन मुद्दों पर बातचीत जारी रहेगी.
किसान संघर्ष समिति के नेता हरजिंदर सिंह ने कहा की बातचीत में बहुत कम प्रगति है. उन्होंने कहा कि पहले आधे समय तो यही लगा कि बैठक बेनतीजा होगी. बाद के आधे समय में यह लगा कि सरकार सिर्फ आन्दोलन के दबाव में बात कर रही है.
सरकारी पक्ष की बात करें तो बैठक के बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा की बैठक में किसानों और सरकार ने अपना-अपना पक्ष रखा है. किसानों की चिंता जायज़ है. सरकार खुले मन से बात कर रही है. उन्होंने कहा कि किसानों को आश्वस्त किया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को नहीं छुआ जाएगा.
तोमर ने कहा कि सरकार अहंकार में नहीं है.वह खुले दिमाग के साथ किसानों से बात कर रही है. उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान आने वाले मुद्दे समाधान तक पहुंचेंगे.
आज की बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पियूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत की.
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किसानों ने क़ानून वापस लेने की बात रखी तो सरकार ने कहा किसानों की समस्याओं पर गौर के लिए एक समिति गठित कर देते हैं लेकिन समिति गठन के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया.