जुबिली न्यूज डेस्क
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को 85 दिन हो चुके हैं। किसान और सरकार दोनों ही पीछे हटने के मुड में नहीं दिख रहे हैं। इस बीच किसान संगठनों द्वारा आज देशव्यापी रेल रोको अभियान चलाया जा रहा है।
गुरुवार को देश में दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक ये अभियान चलाया जा रहा है। दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब में मुख्य तौर पर इसके तहत सुरक्षा बढ़ाई गई है।
पंजाब: किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी ने रेल रोको आंदोलन के तहत अमृतसर में रेलवे ट्रैक पर विरोध प्रदर्शन किया। #FarmersProtest pic.twitter.com/GDzCTo8XDi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 18, 2021
किसानों के रेल रोको अभियान का असर दिख रहा है। अंबाला में सैकड़ों की संख्या मे किसान ट्रैक पर बैठ गए हैं, वहीं दिल्ली के आसपास भी किसानों ने ट्रैक पर कब्जा कर लिया है और रेल रोकने की तैयारी है। गाजीपुर बॉर्डर के पास मोदीनगर रेलवे स्टेशन पर भी किसानों का जमावड़ा हो रहा है। अलग-अलग रेलवे ट्रैक पर पुलिस ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रखी है और सुरक्षा सख्त है।
Jammu and Kashmir: Farmers under the aegis of United-Kissan Front demonstrate at railway track in Jammu's Channi Himat area as part of 4 hour nationwide 'rail roko' agitation against #FarmLaws pic.twitter.com/pRVo5CU5PD
— ANI (@ANI) February 18, 2021
किसानों के रेल रोको अभियान के बीच दिल्ली मेट्रो के कई स्टेशनों में एंट्री बंद कर दी गई है। दिल्ली मेट्रो के टिकरी बॉर्डर, पंडित श्री राम शर्मा, बहादुरगढ़, ब्रिगेडियर होशियार सिंह मेट्रो स्टेशन के एंट्री-एग्जिट गेट को बंद कर दिया गया है।
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा केंद्र किसी भी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान फसल की कटाई के लिए वापस जाएंगे। यदि वे मजबूर करेंगे तो हम अपनी फसलों को जला देंगे। उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि विरोध 2 महीने में खत्म हो जाएगा। हम फसल के साथ-साथ विरोध करेंगे।
हरियाणा के हिसार जिले के खरकपुनियों में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि फसलों की कीमतों में वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़ गई हैं। केंद्र ने स्थिति को बर्बाद कर दिया है, यदि जरूरत हुई तो हम अपने ट्रैक्टरों को पश्चिम बंगाल में भी ले जाएंगे, क्योंकि वहां पर भी किसानों को एमएसपी नहीं मिल रही है।
टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों के सब्र का इम्तिहान ले रही है। उन्होंने कहा कि कानून वापसी तक किसान कहीं जाने वाला नहीं है। कानून वापसी से ही किसानों की घर वापसी संभव है। इसके साथ ही सरकार को एमएसपी पर कानून भी लाना होगा।
Centre should not be under any misconception that farmers will go back for crop harvesting. If they insisted, then we will burn our crops. They shouldn't think that protest will end in 2 months. We'll harvest as well as protest: BKU's Rakesh Tikait in Kharak Punia, Haryana pic.twitter.com/0pHn4A0NTO
— ANI (@ANI) February 18, 2021
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 85वें दिन भी जारी है। इस बीच किसानों को मनाने के लिए अब तक केंद्र सरकार की ओर से की गईं सभी कोशिशें बेनतीजा रही हैं।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।