जुबिली न्यूज डेस्क
कृषि कानून के मसले पर किसानों और सरकार के बीच बात बनती नहीं दिख रही है। करीब पांच राउंड की बात रद्द होने के बाद कृषि कानून का मसला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। भारतीय किसान यूनियन ने कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में तीनों ही कृषि कानूनों को चुनौती दी गई है।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए बीते दिन कृषि मंत्री द्वारा किसान आंदोलन के मसले पर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र किया और लोगों से उन्हें सुनने की अपील की गई।
पीएम मोदी ने लिखा, ‘मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है। इसे जरूर सुनें’
https://twitter.com/narendramodi/status/1337222364610891776?s=20
बता दें कि किसानों को मनाने के लिए सरकार ने किसान संगठनों को लिखित प्रस्ताव भेजा, लेकिन किसानों ने उसे नकार दिया। गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए, किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की, APMC-MSP को लेकर लिखित गारंटी का भरोसा दिया।
हालांकि, किसानों ने भी तुरंत जवाब दिया और सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया। किसानों की मांग है कि तीनों कानून वापस होने चाहिए।
सरकार संशोधनों का हवाला देते हुए किसानों से आंदोलन खत्म करने को कह रही है और किसान अब कानून खत्म करने पर अड़ गए हैं। किसानों ने अब आंदोलन तेज करने की बात कही है और सड़कों के बाद रेल सेवा जाम करने का आह्वान किया है। दूसरी ओर सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है, सिंघु बॉर्डर पर डटे कुछ किसानों पर केस दर्ज हुआ है। अब किसानों का मसला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज की। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
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किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से जबरन दिल्ली की सीमा में घुस आए थे और सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठ गए थे। वे रोड को ब्लॉक करके बैठे हैं। किसानों के खिलाफ एफआईआर 7 दिसंबर को अलीपुर थाने में दर्ज की गई।