जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. सुप्रसिद्ध शिया विद्वान मौलाना तालिब जौहरी का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया. भारत के पटना शहर में 27 अगस्त 1939 को जन्मे तालिब जौहरी भारत विभाजन के बाद वर्ष 1949 में अपने पिता के साथ पाकिस्तान चले गए थे. शुरुआती शिक्षा अपने पिता मुस्तफा जौहरी से लेने के बाद कराची विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की. उच्च धार्मिक शिक्षा के लिए वह इराक चले गए. वहां उन्होंने 10 साल तक धार्मिक शिक्षा ली. ईराक के धर्मगुरु मौलाना आयतुल्लाह उज़मा सीस्तानी के वह क्लासफेलो थे.
मौलाना तालिब जौहरी ने कई धार्मिक किताबें लिखीं. वह शायर भी थे, दार्शनिक भी थे. उनकी ख्याति कई मुल्कों में थी. पाकिस्तान सरकार ने उनकी विद्वता को देखते हुए उन्हें सितारा-ए-इम्तियाज़ सम्मान से भी नवाज़ा था. उनकी लिखी किताब हदीस-ए-कर्बला की विश्व स्तर पर मान्यता है. अल्लामा तालिब जौहरी इराक के नजफ़ शहर में आयतुल्लाह अल उज़मा सैय्यद अबू अल कासिम और आयतुल्लाह शहीद सय्यद बाकिर अल सद्र से शिक्षा प्राप्त की. आयतुल्लाह सीस्तानी उनसे सीनियर थे. अल्लामा जीशान हैदर जव्वादी नजफ में उनके क्लास फेलो थे.
यह भी पढ़ें : मध्य प्रदेश में चीन की कम्पनी ने निकाले 62 भारतीय मजदूर
यह भी पढ़ें : नेपाल ने अब बिहार में किया पांच सौ मीटर भूमि पर दावा
यह भी पढ़ें : भारत-चीन सीमा विवाद : मोदी के बयान पर मचा घमासान
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : सरेंडर पर राजनीति नहीं मंथन करें हम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने उनके निधन की खबर पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि धार्मिक जगत को उनके न रहने से काफी नुक्सान हुआ है. पाकिस्तान के कराची शहर में रहने वाले मौलाना तालिब जौहरी पिछले 15 दिन से वेंटीलेटर पर थे. उनके बेटे रियाज़ जौहरी ने बताया कि उन्हें अंचोली इमाम बारगाह में दफ्न किया जाएगा.