जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में फ्रॉड का एक बड़ा मामला सामने आया है. बड़वानी के जिला मजिस्ट्रेट शिवराज सिंह वर्मा द्वारा पकड़े गए इस फ्रॉड में सरकारी तंत्र के शामिल होने का खुलासा हुआ है. नहर के मुआवज़े के मामले में 34 लाख रुपये मुआवजा दिया जाना था लेकिन फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर आठ करोड़ रुपये मुआवज़े का भुगतान कर दिया गया. बड़वानी के जिला मजिस्ट्रेट ने इस मामले में एसडीएम के रीडर बाबूलाल मालवीय तथा दो अन्य लोगों के खिलाफ इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
जानकारी मिली है कि वर्ष 2010 में इंदिरा सागर परियोजना की नहर बनाने के लिए ज़मीन का अधिग्रहण किया गया था. इस अधिग्रहण में शरद चन्द्र रावत की ज़मीन भी अधिग्रहीत की गई थी. तत्कालीन एसडीएम के रीडर बाबूलाल मालवीय की मिलीभगत से शरद चन्द्र रावत, प्रीतेश रावत और बाबूलाल की बहन कलाबाई ने मिलकर मुआवजा बढ़ाने का प्लान तैयार किया. भू-अर्जन वाली ज़मीन का नियम विरुद्ध जाकर मैरिज गार्डन के लिए डायवर्जन कराया गया.
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इस डायवर्जन के बाद कृषि भूमि की रजिस्ट्री असिंचित बताकर रजिस्ट्री करा दी गई. इस तरह से स्टाम्प ड्यूटी में भी पैसा बचा लिया गया. इसके बाद शरद चन्द्र रावत ने इस ज़मीन का बंटवारा अपने बेटे प्रीतेश और बाबूलाल की बहन कलाबाई के नाम पर कर दिया. यह बंटवारा तहसीलदार से कराना चाहिए था लेकिन यह काम भू अभिलेख सुपरिंटेंडेंट से करा दिया गया. इस ज़मीन का मुआवजा 34 लाख रुपये मिलना चाहिए था लेकिन कोर्ट से आठ करोड़ रुपये मुआवज़े का आदेश करा दिया गया.