जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. सरकार की नीतियों से नाराज़ गूगल, फेसबुक और ट्वीटर ने पाकिस्तान छोड़ने की धमकी दी है. एशिया इंटरनेट कोइलिशन ने पाकिस्तान की सरकार से कहा है कि अगर उसने डिजीटल सेंसरशिप को जारी रखा तो फिर उनका इस देश में रुकना मुश्किल हो जायेगा.
कम्पनी ने सरकार से कहा है कि डिजीटल सेंसरशिप वास्तव में व्यक्ति की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा हमला है. गूगल, फेसबुक और ट्वीटर जैसे प्लेटफार्म अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए बनाये गए हैं. जहां पर अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं है वहां इसे जारी रख पाना संभव नहीं है.
दरअसल पाकिस्तान सरकार ने अधिकारियों को यह अधिकार दिया है कि वह किसी भी डिजीटल कंटेंट को सेंसर कर दें. एशिया इंटरनेट कोइलिशन का आरोप है कि पाकिस्तान ने इस्लामिक राष्ट्र होने के नाते अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बंदिश लगी है.
कम्पनी ने सरकार के सामने स्पष्ट कर दिया है कि या तो सरकार अपनी नीति बदले वर्ना उन्हें पाकिस्तान छोड़कर जाना होगा.
पाकिस्तान में डिजीटल सेंसरशिप क़ानून इस तरह से तैयार किया गया है कि उसमें आपत्तिजनक मामला तय करने का कोई पैमाना नहीं है. कोई भी व्यक्ति किसी भी कंटेंट को अगर आपत्तिजनक बता दे तो सरकार फ़ौरन उसे आपत्तिजनक मान लेती है. ऐसे कंटेंट को हटाने के लिए सरकार फ़ौरन कम्पनी से सिफारिश कर देती है. कम्पनी को आपत्तिजनक बताये गए कंटेंट को 24 घंटे के भीतर और कभी-कभी छह घंटे के भीतर हटाने के लिए बाध्य किया जाएगा.
इस क़ानून के तहत कम्पनी के सामने यह मजबूरी भी होगी कि वह सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसियों को को उस एकाउंट से सम्बंधित सब्स्क्राइबर, ट्रैफिक और कंटेंट से रिलेटेड पूरी जानकारी उपलब्ध करवाए. जांच एजेंसियों को यूज़र का पूरा डाटा भी देने होगा. कम्पनी का मानना है कि यह व्यक्ति की निजी ज़िन्दगी में सीधे तौर पर दखलंदाजी है.
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पाकिस्तान सरकार ने अपने इस क़ानून के दायरे में पाकिस्तान से बाहर रह रहे अपने नागरिकों के एकाउंट पर भी नज़र रखने को कहा है. इस डिजीटल सेंसरशिप क़ानून को तोड़ने वाले के लिए सरकार ने 50 करोड़ रुपये का जुर्माना भी तय किया है. पाकिस्तान में सात करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़े हैं. कम्पनी का मानना है कि इन यूजर्स की निजी ज़िन्दगी पर लगातार ख़ुफ़िया विभाग की नज़र बनी हुई है. ऐसे में उनकी अपनी आज़ादी का कोई मतलब नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान सरकार के साथ काम करते रह पाना संभव नहीं है.