न्यूज डेस्क
फिलहाल लैंडर विक्रम से उम्मीदें खत्म हो गई हैं, लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अच्छी तरह से काम कर रहा है। ऑर्बिटर में आठ इंस्ट्रूमेंट होते हैं जो सटीकता से काम कर रहे हैं।
इसरो प्रमुख के. शिवन ने शनिवार को यह बातें कही। उन्होंने इसरो का अगला मिशन भी बताया। उन्होंने परोक्ष रूप से यह भी साफ कर दिया कि अब लैंडर विक्रम से उम्मीदें खत्म हो गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम लैंडर विक्रम के साथ संपर्क स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। हमारी अगली प्राथमिकता गगनयान मिशन है।
मालूम हो कि चंद्रमा पर दिन ढलने के साथ ही शनिवार को रात का अंधेरा छा जाएगा और इसके साथ ही लैंडर का जीवन खत्म हो जाएगा। चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम की जिंदगी सिर्फ एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) थी।
गौरतलब है कि बीते सात सितंबर को विक्रम 10 किलोमीटर की ऊंचाई पर अनियंत्रित हो गया था और जब वह चांद की सतह से 330 मीटर (पहले इसरो ने यह दूरी 2.1 किमी. बताई थी) ऊपर था तब उसका इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया।
दरअसल, इसरो ने कहा था कि चंद्रमा पर रात होने के बाद लैंडर में लगी बैटरी चार्ज नहीं हो सकेगी और एकबार स्लीप मूड में जाने के बाद यह दोबारा सक्रिय नहीं हो सकेगा। दोबारा संपर्क स्थापित होने के लिए 14 दिन बेहद अहम मानें जा रहे थे।
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इसलिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी और वे लगातार लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिशों में जुटे थे, लेकिन अब इसरो चीफ ने साफ कर दिया है कि अंतिम दिन भी लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है।
उन्होंने कहा कि चांद के दक्षिणी ध्रुव रात हो जाएगी। यहां रात के दौरान तापमान बहुत नीचे चला जाता है। कई बार तापमान शून्य से 200 डिग्री नीचे तक चला जाता है। लैंडर और उसके अंदर फंसे रोवर पर जो वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, उन्हें इतने कम तापमान पर काम करने लायक नहीं बनाया गया है।
शिवन ने कहा कि इस तापमान तक आते-आते कई उपकरण हमेशा के लिए खराब हो जाएंगे। चांद के दिन और रात धरती के 14-14 दिन के बराबर होते हैं।
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