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बजट से उम्मीदें: कोरोना के बाद सरकार कितनी देगी राहत

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोरोनाकाल में मोदी सरकार का पहला बजट पेश करेंगी। देश में बजट पर लोगों की उम्मीदें जागी हुई हैं। कोरोना महामारी ने देश ही नहीं घर- घर की कमर तोड़ दी है। इससे लोगों को उबारने के लिए कल मोदी सरकार के पेश होने वाले बजट पर हर तबके की नज़र टिकी हुई है।

बीता साल कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया और देश की आर्थिक विकास की गाड़ी रसातल में चली गई। केंद्र की मोदी सरकार ने कई उपायों के जरिए कोरोना संकटकाल में देश के आम तबके को राहत पहुंचाने के दावे किए लेकिन आम जनता इनके दावों से कितना सहमत है और उसे कितनी राहत मिली ये तश्वीर कल दोपहर तक साफ़ हो जाएगी।

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इस बजट से इस बार लोगों को बहुत सारी उम्मीदें हैं, क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से लोगों ने 2020 में बहुत परेशानियां झेली हैं। ऐसे में लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार का बजट कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया होगा।

कुछ ऐसी व्यवस्था की गई होगी, जिससे लोगों की जेब में अधिक पैसे बचें और कोरोना की वजह से लोगों को जो अतिरिक्त खर्च हुआ है, उसकी भरपाई हो सके। वैसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह भी चुकी हैं कि ये ऐसा बजट होगा, जैसा पहले कभी नहीं देखा होगा। हालांकि पीएम मोदी ने इस बात का संकेत दे दिया है कि बजट से ज्यादा उम्मीदें ना करें।

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कोरोना काल के दौरान लोगों के हाथों में खर्च करने के लिए अधिक पैसे देने के मसकद से बजट 2021-22 से सबसे बड़ी उम्मीद तो यही है कि इस बार सरकार टैक्स छूट की सीमा को बढ़ा सकती है। अभी टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये है, जिसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जा सकता है।

ऐसी उम्मीद इसलिए भी की जा रही है, क्योंकि पिछले करीब 7 सालों से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। जुलाई 2014 में आए बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की थी।

कोरोना काल में काम करने का तरीका काफी बदल गया है। बहुत सारे लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। ऐसे में बजट 2021 में आम आदमी को उम्मीद है कि घर से काम करने के लिए भी सरकार टैक्स में कुछ छूट दे सकती है, क्योंकि घर से काम करने में कर्मचारी को इंटरनेट, कुर्सी-मेज और कई बार तो छोटा ऑफिस तक सेट-अप करना पड़ा है। उम्मीद की जा रही है कि इसके लिए सरकार कोई स्टैंडर्ड डिडक्शन की ही घोषणा कर दे।

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए 130 करोड़ लोगों पर वैक्सीन लगाने का खर्च 50,000 से 60,000 करोड़ तक आ सकता है। वित्त मंत्री को अतिरिक्त संसाधनों से यह राशि जुटाने के लिए उपाय करने होंगे।

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इस वित्त वर्ष के दौरान देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 7 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है। पिछले साल के बजट में इसके 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। इसलिए संभव है कि सेस के रूप में टैक्सपेयर्स को ही इसका खर्च उठाना पड़ सकता है।

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा है कि ‘वर्तमान में व्यापारी वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि बजट में व्यापारियों को बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से कम ब्याज पर तथा आसान शर्तों पर कारोबार के लिए धन मिले, इसकी नीति बजट में अवश्य घोषित होगी। वहीं कॉर्पोरेट सेक्टर पर जिस प्रकार से आय कर की उच्चतम सीमा 25% है, व्यापारियों पर भी यह लागू होने का एलान बजट में होना चाहिए।’

पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलआइसी का प्रारंभिक पब्लिक ऑफर (आइपीओ) लाकर सरकार की कुछ हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की थी। लेकिन कानूनी अड़चनों और बाजार के प्रतिकूल होने की वजह से पूरे वित्त वर्ष में इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी। यह भी तय नहीं हो सका कि सरकार एलआइसी में अपनी कितनी हिस्सेदारी बेचेगी। इस साल अप्रैल के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

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