अविनाश भदौरिया
दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया है। दिल्ली में 8 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे और नतीजे 11 फरवरी को आएंगे। चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने राजधानी में सत्ता पाने के लिए अपनी लड़ाई को तेज कर दिया है। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक माहौल गरमाया हुआ है।
एक और जहां जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर दो विचारधारा के लोग तूं-तूं, मैं-मैं करने में लगे हैं वहीं ट्विटर पर #KejriwalvsWho और #WhoisKejriwal ट्रेंड पर है। दरअसल दिल्ली के चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल ये है कि, जनता किस मुद्दे पर वोट करने वाली है। आम आदमी पार्टी अपने काम को लेकर वोट मांग रही है तो वहीं बीजेपी लोकसभा चुनाव की तरह ही राष्ट्रवाद, टुकड़े-टुकड़े गैंग और हिंदुत्व के मुद्दों को धार देकर कामयाबी पाना चाहती है। वहीं कांग्रेस इस लड़ाई में ‘जो बचेगा सो मिलेगा’ वाली स्थिति में दिखाई दे रही है।
सबसे बड़ी बात यह है कि बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक दिल्ली में अपने सीएम चेहरे का ऐलान नहीं किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, बीजेपी सम्भवता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव मैदान में आने का मूड बनाए हुए है। इस बात की पुष्टि हाल ही में बीजेपी द्वरा जारी एक स्लोगन से भी हो जाती है। जो इस तरह है- ‘दिल्ली चले मोदी के साथ 2020’।
अगर बीजेपी दिल्ली में पीएम मोदी के चेहरे पर दांव लगाती है तो यह चुनाव दो वजह से अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पीएम मोदी के साथ ही इस चुनाव में EVM मशीन की भी अग्नि परीक्षा होगी।
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बता दें कि पिछले करीब एक साल के भीतर तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव और कुछ सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है, जिसके बाद से ईवीएम मशीन का मुद्दा शांत है। विपक्ष को अब इसमें कोई गड़बड़ी नजर नहीं आ रही है। लेकिन जहां बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा वहां एक और खास बात रही है कि पीएम मोदी की प्रतिष्ठा सीधे दांव में नहीं लगी थी।
हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखण्ड तीनों ही राज्यों में बीजेपी ने मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रखकर चुनाव लड़ा है। जबकि दिल्ली में जब ज्यादातर सर्वे में आम आदमी पार्टी को बढ़त मिलती दिखाई जा रही है तब भी पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने का फैसला साधारण प्रतीत नहीं होता।
गृह मंत्री अमित शाह कई बार अपने फैसलों से लोगों को चौंका चुके हैं और अगर दिल्ली में इसी तरह का कोई चौंकाने वाला परिणाम आता है तो बेशक बीजेपी इसे राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की जीत बताएगी जबकि विपक्ष एकबार फिर से EVM का रोना रोते दिखेगा।
कुल मिलाकर एक बात साफ़ है दिल्ली का चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण होने वाला है। बीजेपी को अगर शिकस्त मिलती है तो यह आगामी लोकसभा चुनाव 2024 और इसी साल होने वाले राज्यसभा चुनाव पर असर डालेगा और यह भी कन्फर्म हो जाएगा कि मोदी लहर ख़त्म हो गई है। वहीं अगर बीजेपी को सफलता मिलती है तो मजबूत होता विपक्ष कमजोर पड़ेगा।
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