Monday - 28 October 2024 - 10:03 AM

हर साल अतंरिक्ष से धरती पर गिरती है 5,200 टन धूल

जुबिली न्यूज डेस्क

अंतरिक्ष के बारे में हर कोई जानना चाहता है। बच्चे से लेकर बड़े, सभी अंतरिक्ष के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं। यही कारण है कि उस पर हर दिन शोध होता रहता है।

ऐसे ही एक शोध में पता चला है कि हमारी धरती हर साल धूमकेतुओं और अन्य ग्रहों से गिरने वाली हजारों टन धूल का सामना करती है।

दूसरी दुनिया से गिरने वाले यह धूल कण जब हमारे वायुमंडल से गुजरते हैं तो टूटते हुए तारों की आभा देते हैं। इनमें से कुछ सूक्ष्म उल्कापिंडों के रूप में धरती पर भी गिरते हैं।

सीएनआरएस, पेरिस-सैकले यूनिवर्सिटी और नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री ने फ्रेंच पोलर इंस्टीट्यूट की मदद से इन पर 20 साल तक शोध किया है। शोध के अनुसार हर साल करीब 5,200 टन धूल अंतरिक्ष से जमीन पर गिरती है।

ये भी पढ़े :नॉर्वे के PM पर क्यों लगा 1.75 लाख रुपये का जुर्माना

ये भी पढ़े : वैक्सीन की किल्लत के बीच कैसे पूरा होगा ‘उत्सव’

जर्नल अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स में इससे जुड़ा शोध प्रकाशित हुआ है। शोध की रिपोर्ट में कहा गया है कि धरती पर हमेशा से ही सूक्ष्म उल्कापिंड (माइक्रोमीटराइट्स) गिरते रहे हैं।

धूमकेतु या क्षुद्रग्रहों से गिरने वाले दूसरे ग्रहों के कुछ धूलकण मिलीमीटर के दसवें हिस्से से लेकर सौवें हिस्से तक के हो सकते हैं, जो वायुमंडल से होकर धरती की सतह तक पहुंचे हैं।

पृथ्वी पर कहां से आती है यह अंतरिक्षीय धूल

शोधकर्ताओं ने पर्याप्त मात्रा में अंतरिक्ष से गिरे कणों को एकत्र किया है, जिनका आकार 30 से 200 माइक्रोमीटर के बीच है। हर साल इस स्थान पर गिरने वाली अंतरिक्षीय धूल, हर साल पृथ्वी पर प्रति वर्ग मीटर गिरने वाले एक्सट्रैटेस्ट्रियल कणों से मेल खाती है।

ऐसे में यदि गिरने वाली धूल के आधार पर गणना की जाए तो उसके मुताबिक धरती पर अंतरिक्ष से गिरने वाले कुल धूल कणों की गणना की जा सकती है। शोधकर्ताओं ने इसकी मात्रा 5,200 टन प्रतिवर्ष आंकी है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह जानकारी हमें यह जानने में मदद कर सकती है कि किस तरह इस अंतरिक्षीय धूल ने पृथ्वी पर उसके शुरुवाती समय में पानी और कार्बन के अणुओं को पहुंचाया था।

ये भी पढ़े : म्यांमार के सांसद भी भागकर आए भारत

ये भी पढ़े :  प्रशांत किशोर के वायरल ऑडियो चैट में क्या है?

अंतरिक्ष और दूसरे ग्रहों से गिरने वाले तत्वों की बात की जाए तो यह धूल के कण अंतरिक्ष से धरती पर गिरने वाले अलौकिक पदार्थों का मुख्य स्रोत है, जबकि इसके विपरीत यदि उल्कापिंडों जैसी बड़ी वस्तुओं को देखें तो वो प्रति वर्ष 10 टन से भी कम होते हैं।

यदि इन सूक्ष्म कणों के स्रोत की बात करें तो सैद्धांतिक अनुमानों के अनुसार इसमें से करीब 80 फीसदी कण धूमकेतुओं से आते हैं जबकि बाकी बचे 20 फीसदी कण क्षुद्रग्रहों से धरती पर गिरते हैं।

ये भी पढ़े : क्या उत्तराखंड की बढ़ती गर्मी बनी जंगलों में लगी आग का सबब?

ये भी पढ़े :  प्राकृतिक अजूबों को भी नष्ट कर सकता है जलवायु परिवर्तन 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com