जुबिली न्यूज डेस्क
घरेलू हिंसा की शुरुआत अपमान और मारपीट से शुरू हो कर हत्या पर खत्म होती है।
दुनिया के अमूमन देशों में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है और यदि समय से इसकी शिकायत नहीं की गई तो मामला हत्या तक पहुंच जाती है।
इन दिनों जर्मनी भी महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा की वजह से चर्चा में है।
कहा जा रहा है कि जर्मनी पत्नियों और गर्लफ्रेंड की हत्या से नजरें चुरा रहा है।
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इसी हफ्ते जारी हुए ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि जर्मनी में 2019 में घरेलू हिंसा में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है।
इन आंकड़ों को बर्लिन में पारिवारिक मामलों की मंत्री फ्रांसिस्का गिफे ने “हैरान करने वाले आंकड़ें” कहा है।
गिफे ने ध्यान दिलाया कि जर्मनी में हर तीसरे दिन एक आदमी अपनी पार्टनर की हत्या कर रहा है। फिलहाल यूरोपीय संघ में 2018 के दौरान हुई महिलाओं की हत्या के मामले में जर्मनी सबसे ऊपर है।
रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी में हर दिन एक आदमी अपनी पार्टनर या पुरानी गर्लफ्रेंड को मारने की कोशिश करता है, जिसमें हर तीन में से एक कोशिश सफल होती है।
जर्मनी के सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसके बावजूद बहुत सारे दोषी आसानी में छूट जा रहे हैं, जिसकी वजह से और लोगों में डर नहीं है।
2019 में ऐसी ही घटना खूब चर्चा में रही थी। एक शाम जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में 32 साल की एक डॉक्टर पर उसके पुराने बॉयफ्रेंड ने चाकू से 18 हमले किए और डॉक्टर की उसके घर के ठीक सामने सड़क पर उसी समय मौत हो गई थी।
ऐसी घटनाएं जर्मनी में आए दिन हो रही हैं, जिस पर अब बहस तेज हो गई है।
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इस मामले में हेसे प्रांत के गृह मंत्रालय में अपराध नियंत्रण ईकाई की प्रमुख जूलिया शेफर कहती हैं पार्टनर की हत्या कोई अचानक से उठ कर नहीं करने लगा है।
शेफर के मुताबिक, “अकसर यह कई सालों की उस घरेलू हिंसा का भयानक नतीजा होता है, जो अपमान, प्रताडऩा और साथ ही आर्थिक दबावों से शुरू होती है।”
जूलिया कहती हैं, “घरेलू हिंसा समाज के सभी वर्गों में है, इसमें किसी धर्म, राष्ट्रीयता या शिक्षा का सवाल नहीं है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इससे यह कह कर मुंह ना मोड़ें कि यह हमारा काम नहीं, बल्कि इससे जुडऩा होगा, मदद देनी होगी या पुलिस को बुलाना होगा। ”
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पार्टनर की हत्या जर्मनी में अब भी एक वर्जित विषय है। आंकड़ों में सिर्फ उन घटनाओं की बात होती है जिनमें या तो आरोप लगाए गए या फिर दोष साबित हुआ। 2014 में पूरे यूरोपीय संघ में किए गए एक रिसर्च में पता चला था कि तीन में से केवल एक मामले में ही पुलिस से शिकायत की जाती है।