न्यूज डेस्क
कुछ दिनों पहले दिल्ली के अनाज मंडी में आग लगी थी जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। ऐसी घटनाएं पूरी दुनिया में हर दिन कहीं न कहीं होती है और लोगों की जान चली जाती है। आग लगने की घटनाओं में होने वाली मौत को लेकर एक शोध में खुलासा हुआ था कि साल 2017 में पूरी दुनिया में आग के कारण होने वाली मौतों में हर पांचवा शख्स भारतीय था।
शोध के मुताबिक वर्ष 2017 में आग से होने वाली 90 लाख घटनाओं में 1.2 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई। इसमें अकेले भारत में 27,027 लोगों की मौत हुई है। 2017 में भारत में 16 लाख आग की घटनाएं हुई।
बीएमजे इंजरी प्रिवेंशन जरनल में प्रकाशित ग्लोबल डिजीज बर्डन के 195 देशों के विश्लेषण से यह आंकड़ा सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मृत्यु का आंकड़ा चीन से ढाई गुना ज्यादा है। चीन में 2017 में आग की घटनाओं में 10,836 लोगों की जान गई।
आग से होने वाली मौतों में भारत में पाकिस्तान सहित सात देशों का आधा से अधिक हिस्सा है। शोध के मुताबिक पांच साल से कम उम्र के बच्चे और 60 साल से ज्यादा के बुजुर्गों आग से सबसे ज्यादा पीडि़त होते हैं। शहरी भारत में भी यह ट्रेंड देखने को मिलता है।
इस शोध से पता चला है कि भारत में लैंगिग हिंसा उच्च मृत्यु दर का एक कारण है। शोध में बताया गया है कि कर्नाटक में महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली सिंथेटिक साड़ियां भी आग का दूसरा कारण हैं। तीसरा कारण अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं हैं। बर्न मैनेजमेंट को मैनपावर की जरूरत है।
निजी क्षेत्र बहुत कम झुलसे लोगों का इलाज करते हैं क्योंकि यहां ज्यादा निवेश करना पड़ता है। वहीं कमाई बेहद कम होती है। मुंबई में केवल दो निजी अस्पतालों में बर्न वार्ड हैं लेकिन हर सरकारी अस्पताल में झुलसे हुए लोगों का इलाज होता है जबकि मुट्ठीभर के पास पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं।
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