जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के इतिहास में कुंभ के आयोजन में हुआ घोटाला अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है. कुम्भ को ढाई बरस बीत गए लेकिन इस घोटाले के ज़िम्मेदार मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस घोटाले की जानकारी सीएजी रिपोर्ट से सामने आयी है.
नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक की ऑडिट रिपोर्ट सामने आयी तो सबकुछ साफ़-साफ़ नज़र आने लगा. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने कुम्भ मेले के लिए 2743 करोड़ रुपये आवंटित किये थे. इसमें खूब भ्रष्टाचार किया गया.
यह रिपोर्ट बताती है कि कुम्भ मेले के लिए 32 ट्रैक्टर खरीदे जाने की बात कही गई मगर उनके रजिस्ट्रेशन नम्बर की जांच कराई गई तो वह कार, स्कूटर और मोटरसाइकिल के नम्बर निकले.
इस रिपोर्ट में आपदा राहत कोष के नाम पर पुलिस विभाग को 65 करोड़ 87 लाख रुपये का आवंटन किया. सीएजी से पूछा है कि आपदा राहत के लिए मिला धन तो आपदा की स्थितियों में होता है. जब आपदा हुई ही नहीं तो फिर वह धन कहाँ चला गया.
इस रिपोर्ट में इस बात पर भी एतराज़ जताया है कि जब टेंट, पंडाल और बैरीकेडिंग के लिए 105 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए गए थे तो फिर मेला अधिकारी ने 143 करोड़ 13 लाख रुपये के काम कैसे करा लिए.
इसी तरह से सड़कों के निर्माण में अनियमितताएं मिली हैं. सड़क मरम्मत और निर्माण में स्वीकृत दरों से कई गुना पर भुगतान कर दिया गया.
सीएजी रिपोर्ट में साफ़-साफ़ लिखा है कि पुलिस विभाग ने साढ़े 32 लाख रुपये की लागत से जो ड्रोन कैमरे खरीदे हैं वो किसी कम के नहीं हैं. इनका इस्तेमाल भी नहीं किया गया. इन्हें कुम्भ में आये श्रद्धालुओं की सुरक्षा के नाम पर खरीदा गया और कहीं लगाया भी नहीं गया. कोई घटना हो जाती तो ऐसे हालात में क्या होता.
सीएजी रिपोर्ट में इस बात को लेकर सख्त नाराजगी जताई गई है कि विभिन्न विभागों को आवंटित किये गए बजट के बारे में मेला अधिकारी ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई. आरोप है कि कुम्भ मेले में कोई भी काम बगैर कमीशन नहीं किया गया. एलईडी बल्ब की खरीद तक में घोटाला किया गया. 10 हज़ार 500 एलईडी का भुगतान करने में ही करीब 32 लाख रुपये का चूना लगा दिया गया.
कुम्भ मेले में योगी सरकार ने शौचालय निर्माण और आस्थाई टेंट पर 231 करोड़ 45 लाख रुपये का भुगतान किया जबकि इसका कुल भुगतान 143 करोड़ रुपये किया जाना चाहिए था.
विधान परिषद में कांग्रेस के नेता दीपक सिंह ने सरकार के सामने कुम्भ में हुए घोटाले का मुद्दा उठाया था लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान ही नहीं दिया. उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने इस पर समय से ध्यान दिया होता तो कई मंत्री और अधिकारी इस भ्रष्टाचार के कारण जेल चले गये होते.
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एमएलसी दीपक सिंह का आरोप है कि सरकार ने इस घोटाले पर इसलिए ध्यान नहीं दिया क्योंकि भ्रष्टाचार करने वालों को सरकार का प्रश्रय प्राप्त था. उनका कहना है कि सरकार फिजूलखर्ची रोकने और पारदर्शिता के दावे करती रही और दूसरी तरफ 2019 में प्रयागराज में हुए कुम्भ मेले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता रहा. उस भ्रष्टाचार पर जब भी सवाल उठे, सरकार ने उसे धर्म के आवरण से ढक दिया.