- यूरोपीय अर्थव्यवस्था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ी चुनौती का कर रही है सामना
- इटली में संग्रहालयों और चर्चों को दोबारा खोलने की भी दी गई अनुमति
- डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में मिडिल स्कूल खुलने के बाद पहली बार अपनी कक्षा में पहुंचे छात्र
न्यूज डेस्क
दुनिया भर में तबाही मचा रहे कोरोना वायरस के साथ जंग जारी है, पर इसके साथ ही अब जनजीवन सामान्य करने के लिए दुनिया के अधिकांश आगे आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन का सहारा लिए यूरोप के ज्यादातर देश अब इससे निकल रहे हैं।
यूरोप के अधिकांश देशों ने लॉकडाउन में सोमवार से ज्यादा ढील देना शुरु कर दिया है। दरअसल यह कदम हाल इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि यूरोप में कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों में गिरावट दर्ज किया गया है। यूरोप में कोरोना कमजोर हुआ है।
यूरोपीय देशों में कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल रहे इटली में संग्रहालयों और चर्चों को दोबारा खोलने की भी अनुमति दे दी गई है। इतना ही नहीं यहां रेस्तरां और बार भी खोले जा रहे हैं, लेकिन इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के पालन पर जोर रहेगा।
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डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में मिडिल स्कूल खुलने के बाद छात्र पहली बार अपनी कक्षा में पहुंचे हैं। वहां भी कैफे और बार भी खुल रहे हैं। फ्रांस और बेल्जियम में भी कुछ इलाकों में स्कूल खोलने का फैसला किया गया है।
दुनिया भर में कोविड-19 से 47 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। अब तक लगभग 3.14 लाख से ज्यादा लोग इस कोरोना वायरस के संक्रमण से अपनी जान गवां चुके हैं।
जहां बाकी देशों में कोरोना के संक्रमण में इजाफा हो रहा है वहीं यूरोप में अब धीरे धीरे स्थिति बेहतर हो रही है। स्पेन में दो महीनों में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक दिन में कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 100 से कम रहा है।
यूरोप में अब तक 18 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं जबकि मरने वालों की संख्या 1.66 लाख से ज्यादा है।
वर्तमान में सबसे ज्यादा मामले रूस (2.81 लाख), ब्रिटेन (2.43 लाख) और स्पेन (2.30 लाख) में दर्ज किए गए हैं। कोरोना संक्रमण के 2.25 लाख मामलों के साथ इटली चौथे और 1.76 लाख मामलों के साथ जर्मनी पांचवें स्थान पर है।
यूरोप के भारी संक्रमण के बावजूद सबसे कम मौतें रूस में दर्ज की गई हैं। यहां अब तक 2,631 लोग इस वायरस के शिकार बने हैं। इसके बाद जर्मनी की बारी आती है जहां 7,975 लोग मरे। दूसरी तरफ 34,636 मौतों के साथ इस मामले में ब्रिटेन यूरोप में सबसे ऊपर है।
इसके अलावा इटली में 31,908, फ्रांस में 28,111 और स्पेन में 27 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। सारे आंकड़े जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के हैं।
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इस बीच, पाबंदियों में ढील के बीच स्पेन में फुटबॉल लीग ला लीगा अपने ट्रेनिंग सेशन शुरू कर रही है। इस दौरान खिलाड़ी 10-10 के समूह में अभ्यास करेंगे। 16 मई को सरकार ने फैसला किया कि खेल टीमें अपने इलाकों में लॉकडाउन की पाबंदियों के बावजूद अपनी गतिविधियों को बहाल कर सकती है।
दरअसल कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। दुनिया के ज्यादातर देश अब अर्थव्यवस्था बंद करने की स्थिति में नहीं रह गए हैं। दुनिया भर से अर्थव्यवस्था खोलने की मांग की जा रही है। अमीर देशों में भी बरोजगारी बढ़ी है। अमेरिका जैसे देश में साढ़े तीन करोड़ लोगों की नौकरी जा चुकी है।
जानकारों का कहना है कि कोरोना के साथ हमें जीना सीखना होगा। चूंकि अभी कोविड 19 का कोई स्थायी इलाज नहीं ढूढा जा सका है इसलिए कोरोना से बचते हुए जिदंगी को दोबारा पटरी पर लाना जरूरी हो गया है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब देशों ने लॉकडाउन में ढील देना शुरु कर दिया है।
यूरोप के स्पेन की राजधानी मैड्रिड और बार्सिलोना में 400 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाली दुकानों को खोलने की इजाजत मिल गई है। हालांकि वहां जाने से पहले ग्राहकों को अपॉइंटमेंट लेना होगा।
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जर्मनी में भी कुछ और राज्य पाबंदियों में ढील दे रहे हैं। बार, रेस्तरां और होटल खुल रहे हैं। रेस्तरां और बार में लोगों को एक दूसरे से डेढ़ मीटर की दूरी पर बैठना होगा और वहां काम करने वाले ज्यादातर लोगों को मास्क पहनना होगा। हालांकि होटल और रेस्तराओं से जुड़े संघ ने इस सेक्टर के लिए अलग अलग राज्यों में अलग अलग नियम होने की आलोचना की है। मिसाल के तौर पर बर्लिन में वीकेंड पर बार बंद रहेंगे जबकि पड़ोसी राज्य ब्रांडेनबुर्ग में उन्हें खोले रखने की अनुमति होगी।
वहीं पुर्तगाल, बेल्जियम, पोलैंड और ग्रीस में भी लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील दी जा रही है।
यूरोपीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान
कोरोनो महामारी के हुई तबाही से यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए फ्रांस और जर्मनी ने 500 अरब यूरो के एक विशेष फंड का प्रस्ताव दिया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बातचीत के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने इस पैकेज की घोषणा की।
माना जा रहा है कि यूरोपीय अर्थव्यवस्था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। मैक्रों का कहना है कि कोरना महामारी से निबटने के लिए स्वास्थ्य के मामले पर और अधिक समन्वय की जरूरत है।
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