न्यूज डेस्क
यूरोपीय संघ के 27 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल 29 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर का दौरा कर रहा है। यह प्रतिनिधिमंडल आर्टिकल 370 के बेअसर होने के बाद वहां की स्थिति का आकलन करेगा। श्रीनगर पहुंच चुका ये प्रतिनिधिमंडल पहले राज्यपाल से मिलेगा। उसके बाद सभी सांसदों को डल झील की सैर कराई जाएगा।
आपको बता दें कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद ये पहला मौका है जब कोई अंतर्राष्ट्रीय दल यहां आ रहा है। जानकारों की माने तो मोदी सरकार का यह कदम पाकिस्तान के द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार का करारा जवाब है। हालांकि विपक्ष केंद्र सरकार के इस फैसले पर भड़का हुआ है। कांग्रेस नेता लगातार सरकार के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले पर कहा है, ‘’कश्मीर में यूरोपियन सांसदों को सैर-सपाटा और हस्तक्षेप की इजाजत लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को पहुंचते ही हवाई अड्डे से वापस भेजा गया! बड़ा अनोखा राष्ट्रवाद है यह।’’
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, जम्मू-कश्मीर के गाइडेड टूर पर यूरोपीय सांसदों का स्वागत किया जा रहा है, जबकि भारतीय सांसदों पर प्रतिबंध है और उनकी एंट्री पर रोक है. इस सबमें कुछ बेदह गलत है।’
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में संविधान की धारा 370 को समाप्त करने के उपरान्त वहाँ की वर्तमान स्थिति के आकलन के लिए यूरोपीय यूनियन के सांसदों को जेके भेजने से पहले भारत सरकार अगर अपने देश के खासकर विपक्षी पार्टियों के सांसदों को वहाँ जाने की अनुमति दे देती तो यह ज्यादा बेहतर होता।
वहीं, इस मामले पर दिल्ली स्थित यूरोपीय संघ की शाखा ने कहा है कि ‘यह उसका कोई आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं है।’ बता दें कि इस प्रतिनिधिमंडल ने 28 अक्टूबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात की।
पीएम मोदी ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाकात के दौरान पाकिस्तान की तरफ साफ इशारा करते हुए कहा कि उन देशों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है, जो आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्य क्षेत्र की एक ‘बेहतर समझ’ और वहां के लिए सरकार की विकास की नीतियों की ‘एक स्पष्ट तस्वीर’ हासिल कर सकेंगे।
कौन हैं प्रतिनिधिमंडल के सदस्य
यूरोपीय संघ के इस 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल ज्यादातर नेता अपने-अपने देश की राइट विंग पार्टियों के सदस्य हैं। फ्रांस के 6 सांसद ले पेन की नेशनल फ्रंट से हैं, जबकि पोलैंड के 6 सांसद भी सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी धड़े से ही हैं। प्रतिनिधिमंडल के सिर्फ 2 सदस्य गैर दक्षिणपंथी पार्टियों से हैं।
इन देशों की दक्षिणपंथी पार्टियों के सदस्य शामिल हैं-
- ब्रिटेन की ब्रेग्जिट पार्टी- 4 सदस्य
- जर्मनी की AFD पार्टी- 2 सदस्य
- फ्रांस की नेशनल पार्टी- 6 सदस्य
- स्पेन की VOX पार्टी- 1 सदस्य
- पोलैंड की सत्तारूढ़ ‘लॉ एंड जस्टिस पार्टी’- 6 सदस्य
- इटली की Lega Nord पार्टी- 2 सदस्य
- बेल्जियम की Vlaams Belang पार्टी- 1 सदस्य
- स्लोवाकिय की ऑर्डिनर पार्टी- 1 सदस्य (कंजर्वेटिव पार्टी)
- इटली की यूरोपियन पीपल्स पार्टी- 1 सदस्य (सेंटर-राइट)
- चेक रिपब्लिक की KDU-CSL पार्टी- 1 सदस्य (क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी)
एनएसए डोभाल ने 28 अक्टूबर को प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की दोपहर के भोज पर मेजबानी की। उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से होने वाले सीमापार आतंकवाद और आर्टिकल 370 बेअसर होने के बाद संवैधानिक बदलावों पर बात की।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से भी मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान नायडू ने कहा कि आर्टिकल 370 के प्रावधानों को समाप्त करने का प्रस्ताव 5 और 6 अगस्त को संसद में रखा गया था और इसे दोनों सदनों में ‘‘स्पष्ट मत’’ मिला। नायडू ने यूरोपीय संघ के सांसदों को बताया कि आर्टिकल 370 के प्रावधान शुरू से ही अस्थायी थे।