Tuesday - 29 October 2024 - 10:14 AM

चिपको आंदोलन के प्रतीक पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ने दुनिया को कहा अलविदा

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। चिपको आंदोलन के प्रणेता और प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उत्तराखंड से मिली जानकारी के अनुसार ऋ षकेश स्थित एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली है।

बताया जा रहा है कि कोरोना समेत अन्य बीमारियों की चपेट में  आने की वजह से सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हुआ है। उन्हें आठ मई को एम्स में भर्ती कराया गया था।

उन्होंने आज दोपहर करीब 12 बजे ऋ षिकेश एम्स में अंतिम सांस ली. देर रात उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 86 प्रतिशत पर था। पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में उपचार चल रहा था।

प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। सीएम रावत ने कहा कि पहाड़ों में जल, जंगल और जमीन के मसलों को अपनी प्राथमिकता में रखने वाले और रियासतों में जनता को उनका हक दिलाने वाले श्री बहुगुणा जी के प्रयास को सदैव याद राखा जाएगा।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट किया, ‘चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला है। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित है. यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि प्रख्यात पर्यावरणविद श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन समाज की अपूरणीय क्षति है। पर्यावरण संरक्षण हेतु आपके द्वारा किए गए प्रयास प्रेरणास्पद हैं। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को आपने परम धाम में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति

 

कौन है सुंदरलाल बहुगुणा

प्रख्यात गढ़वाली पर्यावरणविदं सुंदरलाल बहुगुणा चिपको आंदोलन से सुर्खियों में आए थे। दरअसल उन्होंने इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं सालों तक हिमालय में वनों के संरक्षण के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

सुंदरलाल बहुगुणा ने पहली बार 1970 के दशक में चिपको आंदोलन से जुड़े थे और के सदस्य के रूप में और बाद में 1980 से शुरू होकर 2004 के शुरू में टिहरी बांध विरोधी आंदोलन की अगुवाई की थी।

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पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार और 2009 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. पर्यावरण संरक्षण के मैदान में श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के कार्यों को इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.

चिपको आंदोलन के बारे में

चिपको आंदोलन : वनों की अव्यावहारिक कटाई को रोकने के लिए शुरू हुआ था। इस आंदोलन की शुरुआत सबसे पहले 1973 में हुई थी। इस आंदोलन के तहत आश्रित लोगों ने पेड़ों से चिपककर इस आंदोलन की शुरुआत की थी, ताकि पेड़ काटने वाले पेड़ों को ना काट सकें।

 

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