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सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए महिलाओं के प्रवेश पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को भेज दिया है। अब सात जजों की बेंच इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। दो जजों की असहमति के बाद यह केस बड़ी बेंच को सौपा गया है। गुरुवार को पांच जजों की बेंच ने इस मामले को 3:2 के फैसले से बड़ी बेंच को सौंप दिया है।
बता दें कि पांच जजों की पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस खानविलकर, जस्टिस नरीमन और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं।
सबरीमाला मसले पर फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा। अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए।
गौरतलब है कि कुछ साल पहले तक केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत नहीं थी। पिछले कुछ सालों में महिला संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को उठाया गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत दी थी।
परंपरा और धार्मिक मसला बताते हुए कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने एक रिव्यू पिटीशन दायर की गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को अयप्पा मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी है।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत देने वाला फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि लिंग के आधार पर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकना एक भेदभाव वाली प्रथा है, जिससे महिलाओं के मौलिक अधिकार का हनन होता है। दरअसल पिछले कुछ समय से केरल की राजनीति इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द घूम रही है।