राजीव ओझा
ऐसा लगने लगा है कि जनता अब माफिया, दबंगों और रंगदारी के रंग में रंगे नेताओं को स्वीकार नहीं कर रही है। बिहार में नितीश सरकार ने भी इस बात को समझा, लेकिन थोड़ी देर से। ताजा मामला एक समय के “छोटे सरकार” नौटंकीबाज माफिया से नेता बने मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह का है।
“छोटे सरकार” भले ही अपने क्षेत्र में कभी राबिनहुड बनने की कोशिश करते रहें हों, भले वो कभी नितीश और जेडीयू सांसद ललन के करीबी रहें हो लेकिन अब सभी बड़े दलों ने उनसे दूरी बना ली है।
लगता है अनंत सिंह राजनीतिक करियर का अंत करीब है। बिहार में अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं। इसके ठीक पहले अनंत सिंह के घर से एके-47, ग्रेनेड और विस्फोटक बरामद होना इस बात के संकेत हैं कि अब सरकार की नजर में अनंत सिंह नेता नहीं बल्कि एक आतंकी की तरह हैं।
लेकिन बड़ा सवाल है कि UAPA एक्ट में संगीन धाराओं में एफ़आइआर दर्ज होने के बावजूद अनंत कुमार सिंह और उनके ख़ास चेलों को गिरफ्तार करने में पुलिस को पसीना आ गया और कार्रवाई में छत्तीस घंटे से अधिक क्यों लग गए ? हालांकि एफआईआर की धारा के मुताबिक वारंट जरूरी नही था।
“छोटे सरकार” को झटके पर झटका
जुर्म की दुनिया में नाम कमा चुके अनंत सिंह कभी नितीश के करीबी हुआ करते थे। सियासत की शुरुआत उन्होंने 2005 में मोकामा सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ कर की। वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
वैसे अनंत सिंह के राजनीतिक अवसान की कहानी पिछले लोकसभा चुनाव से ही शुरू हो गई थी। अनंत सिंह को पहला जोरदार झटका 2019 के लोकसभा चुनाव में लगा था। जब उनकी पत्नी ने मुंगेर लोकसभा सीट पर एनडीए के ललन सिंह के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और करीब डेढ़ लाख से अधिक वोटों से हार गईं।
वैसे मुंगेर से अनंत सिंह आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन लालू और तेजस्वी यादव के आगे उनकी दाल नहीं गली।तेजस्वी यादव ने 2018 में ही साफ़ कर दिया था कि अनंत सिंह जैसे बाहुबलियों के लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं। तब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि अनंत सिंह एक बैड एलिमेंट हैं, उनको पार्टी में नहीं आने देंगे।
एक जमाने में नितीश और ललन सिंह के करीबी माने जाने वाले अनंत उन्हें सबक सिखाना चाहते थे। लेकिन जब आरजेडी में दाल नहीं गली तो कांग्रेस पर डोरे डाले। कांग्रेस भी उनकी “ख्याति” के चलते हिम्मत नहीं जुटा सकी और किसी तरह अनंत की पत्नी नीलम देवी मुंगेर से कांग्रेस का टिकट मिला। लेकिन वो 167937 वोटो से हार गईं ।
अनंत को दूसरा करार झटका तब लगा जब पुलिस ने 16 अगस्त शुक्रवार को बाढ़ थाने के नदावां गांव स्थित उनके पैतृक घर पर छापा मारा। घर से एक एके-47, दो हैंड ग्रेनेड, 26 कारतूस और संदिग्ध विस्फोटक सामग्री बरामद की गयी है। छापे में एसटीएफ के अलावा एनआइए की टीम भी थी।
UAPA एक्ट में प्राथमिकी दर्ज फिर भी गिफ्तारी में देरी
अनंत के खिलाफ बाढ़ थाने में UAPA एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। आज कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट नहीं मिला। अनन्त सिंह अब मंडे को गिरफ्तार हो सकते हैं। देर से ही सही नितीश सरकार एक्शन में है लेकिन पुलिस कि कछुआ चाल सवाल खड़े कर रही। इस बात की भी हैरानी हो रही कि जो अपराधी हैं, जिनके खिलाफ सारे वारंट जारी हो चुके हैं वे खुलेआम पुलिस मुख्यालय में भी कैसे घूम सकते हैं? इस माह की शुरुआत में निर्दलीय विधायक अनंत सिंह को पटना स्थित राज्य पुलिस मुख्यालय में वॉयस सैंपल लिंक देने के लिए बुलाया गया था ।
बिहार पुलिस ने एक ठेकेदार और उसके भाई की हत्या की कथित साजिश रचने संबंधी एक ऑडियो को लेकर मोकामा विधानसभा क्षेत्र से बाहुबली विधायक अनंत सिंह को बुलाया था। लेकिन जब अपने दल बल के साथ अनंत सिंह पहुंचे तो उनके साथ भूषण सिंह नाम का एक ऐसा अपराधी भी पुलिस मुख्यालय पहुंचा और डेढ़ घंटे तक वहां घूमता रहा।
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भूषण सिंह के खिलाफ भी कई संगीन आरोपों में गिरफ़्तारी के वारंट है। कई मामलों में वो विधायक अनंत सिंह के साथ भी आरोपी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस समय अनंत सिंह अपनी वॉयस सैंपल देने आए थे उस समय स्थानीय भंडारा थाने के अधिकारी भी मौजूद थे लेकिन किसी ने भी गिरफ़्तार करने की हिम्मत नहीं जुटाई।
गिरफ्त्तारी में देरी भले ही हुई हो लेकिन अब एनआईए के घेरे में आ चुके बाहुबली विधायक अनंत सिंह के लिए जेल की सलाखों से बाहर आना मुश्किल होगा।
अजब गजब करतब दिखाने के दिन गए
मोकामा के विधायक अनंत सिंह का जब भी जिक्र आता है तो उनके अजब गजब शौक का जिक्र भी होता है। दरअसल बिहार की राजनीती में बाहुबली अनंत सिंह की छवि मोकामा के राबिनहुड जैसी है। स्थानीय लोग उन्हें छोटे सरकार के नाम से जानते हैं।
अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति में आए अनंत सिंह हमेशा चर्चा में रहते हैं। कभी अपनी वेशभूषा के लिए तो कभी अपने कारनामों के लिए। इस बाहुबली का एक शौक घर में अजगर पालना भी है। ऐसे ही कई शौक के चलते यह बाहुबली डॉन हमेशा सुर्खियों में रहता है।
इसे शौक कहें या पब्लिसिटी स्टंट, एक बार अनंत सिंह ने पेट्रोल बचाने के लिए अपने मर्सिडीज छोड़कर घोड़ा-बग्गीत चलाई। अनंत सिंह घोड़ा-बग्गी को लेकर विधानसभा गए। बग्गी के इस्तेमाल पर जब अनंत सिंह से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैंने ये बग्गीट दिल्ली में बनवाई थी। इसके बाद से लगातार मैं घोड़ा-बग्गी चलाता रहता हूं, क्यूँकि इसमें पेट्रोल की जरूरत नहीं होती।
लगता है अब अनंत सिंह के राजनीतिक करियर की गाडी का पेट्रोल भी खत्म हो चला है।
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