जुबिली स्पेशल डेस्क
राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने, लागत में कमी करने और टिकाऊ उत्पादकता प्राप्त करने के उद्देश्य से कु. मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,बादलपुर (गौतमबुद्ध नगर) में सोमवार को जैविक कृषि उत्पाद मेला भव्य आयोजन किया गया है।
गुनगुनी और सुनहरी धूप में छात्राओं एवं शिक्षकों द्वारा विभिन्न जैविक उत्पादों जैसे शुद्ध देसी घी,पीली सरसों का तेल,अचार,मसाले,पनीर,सब्जियों आदि की खरीदारी जमकर देखने को मिली है।
महाविद्यालय की एक भारत श्रेष्ठ भारत समिति के सौजन्य से आयोजित इस मेले की संयोजिका/ नोडल प्रभारी लेफ्टिनेंट (डॉ.) मीनाक्षी लोहनी रही।
इस भव्य मेले में जैविक कृषि उत्पादक संगठन,ग्राम खंडरा,तहसील दादरी द्वारा जैविक कृषि की विधि तथा तैयार उत्पाद प्रदर्शित किए गए।
मेले का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर (डॉ.) दिव्या नाथ द्वारा रिबन काट कर किया गया। अपने अध्यक्षीय उदबोधन में प्रोफ़ेसर (डॉ.) दिव्या नाथ ने बढ़ती हुई जनसंख्या,पर्यावरण प्रदूषण,भूमि की उर्वरक शक्ति के संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती की राह को ही समाधान की राह बताया।
उन्होंने जैविक कृषि को मानव जीवन के सर्वांगीण एवं सकारात्मक विकास के लिए नितान्त आवश्यक बताते हुए कहा कि वर्तमान समाज का ये दायित्व है कि वह इस विषय को गंभीरता से लें ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रदूषित न हों,उन्हें शुद्ध वातावरण एवं पोष्टिक आहार सुलभ हो सके।
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इसके लिये आज नहीं तो कल हमें जैविक खेती की पद्धतियाँ को अपनाना ही होगा जोकि हमारे नैसर्गिक संसाधनों एवं मानवीय पर्यावरण को प्रदूषित किये बगैर समस्त जनमानस को खाद्य सामग्री उपलब्ध करा सकेगी तथा वर्तमान और भविष्य को खुशहाल जीने की राह दिखा सकेगी।
महाविद्यालय की एक भारत श्रेष्ठ भारत समिति की प्रमुख सलाहकार डॉ. शिल्पी ने जैविक कृषि को दैविक कृषि कहते हुए कहा कि इसके द्वारा पर्यावरण संरक्षित कृषि को बढ़ावा देकर पैदावार में वृदि हेतु रासयनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम की जा सकती है।
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इस अवसर पर एक भारत श्रेष्ठ भारत समिति सदस्य डॉ. बबली अरुण, डॉ. विजेता गौतम तथा डॉ. संजीव कुमार सहित महाविद्यालय के समस्त शिक्षकों का सहयोग एवं छात्राओं की सहभागिता सराहनीय रही।
कृषि उत्पाद संगठन की ओर स मनेंद्र सिंह, संजीव कुमार प्रेमी, ओमवीर सिंह तथा मुकेश शर्मा द्वारा प्रत्येक ग्राहक को जैविक उत्पादों एवं स्वास्थ्य के संरक्षण एवम संवर्धन के मध्य सकारात्मक सहसम्बन्ध को समझाया गया।
जैविक कृषक उत्पादक संगठन प्रभारी संजीव कुमार प्रेमी ने बताया कि रासायनिक खाद फसल के लिए उपयुक्त जीवाणुओं को समाप्त कर देती है।
इन सूक्ष्म जीवाणुओं के तंत्र को विकसित करने के लिए जैविक खाद का प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि फसल के लिए मित्र जीवाणुओं की संख्या तथा हवा के संचार में वृद्धि होने के साथ साथ भूमि में पानी को पर्याप्त मात्रा में सोखने की क्षमता विकसित हो सके।
जैविक मेले में ओम वर्मी कंपोस्ट समूह द्वारा भी अपना स्टाल लगाया गया जहां समूह प्रभारी मुकेश द्वारा वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने की विधि के साथ साथ उसके महत्व को भी बताया गया।
उन्होंने कहा कि केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है जो कि डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाती है।
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कार्यक्रम के समापन के अवसर पर एक भारत श्रेष्ठ भारत समिति की नोडल प्रभारी लेफ्टिनेंट (डॉ.) मीनाक्षी लोहनी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि भारत की एकता और श्रेष्ठता का प्रमुख निर्धारक राष्ट्र का उत्तम स्वास्थ्य ही है। अत: जैविक कृषि राष्ट्र के उत्तम स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य घटक है।