जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले कई महीने से आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रहे श्रीलंका में एक बार फिर आपातकाल लागू कर दिया गया है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने आधी रात से आपातकाल की घोषणा की है। राष्ट्रपति का यह आदेश 6 मई की मध्यरात्रि से लागू हो गया है।
यह फैसला राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने 6 मई को हुई कैबिनेट की एक विशेष बैठक के बाद लिया। इससे पहले राष्ट्रपति राजपक्षे ने 2 अप्रैल को भी आपातकाल लगाया था जिसे 5 अप्रैल को वापस ले लिया गया था।
प्रेसिडेंशियल मीडिया यूनिट के अनुसार, राष्ट्रपति राजपक्षे ने तीन मुद्दों पर ध्यान देते हुए आपातकाल लगाने का फैसला किया है। सबसे पहला है-देश के अस्तित्व की रक्षा करना। दूसरा-सार्वजनिक जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं को बनाए रखना और तीसरा है जनता की सुरक्षा।
मालूम हो कि श्रीलंका पिछले कई महीनों से गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। महंगाई चरम पर पहुंच गई है जिसकी वजह से लोगों को दवाओं से लेकर रोजमर्रा की जरूरत का सामान खरीदने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
दूसरे देशों से श्रीलंका भोजन, ईंधन और दवाइयां ले रहा है मगर यह पर्याप्त नहीं है।
महंगाई से लोग परेशान है। लोगों का सब्र जवाब दे रहा है इसीलिए विरोध में लोग सडक़ पर उतर आए हैं। जनता लगातार राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। ये लोग सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
एक महीने से लंबे समय से जारी विरोध-प्रदर्शन कई बार हिंसक भी हो गया।
आपातकाल लागू करने के फैसले के एक दिन पहले ही पुलिस ने कोलंबो में संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर आंसू गैस के गोले दागे थे।
प्रदर्शनकारियों ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था, जिसकी वजह से शुक्रक्रवार को कामकाज ठप रहा।
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हालांकि आपातकाल के नियमों का पूरा विवरण अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन ऐसी संभावना है कि यह पहले की ही तरह होगा।
इसके पहले जब आपातकाल लागू किया गया था तब राष्ट्रपति राजपक्षे ने एक नोटिस जारी कर लोगों के सडक़ों, पार्क, ट्रेन, समुद्र तट जैसी सार्वजनिक जगहों पर निकलने को लेकर पाबंदी लगा दी थी।
राजपक्षे के इस फैसले पर कोलंबो में कनाडा के राजदूत ने सवाल उठाया था।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “पिछले कुछ हफ्तों में, देश के लोकतंत्र का सम्मान करते हुए भारीसंख्या में लोग शांतिप्रिय विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुए। इसलिए यह समझना मुश्किल है कि आपातकाल की स्थिति घोषित करने की आवश्यकता क्यों है।”
Over the past weeks, the demonstrations across #SriLanka have overwhelmingly involved citizens enjoying their right to peaceful freedom of expression, and are a credit to the country’s democracy. It’s hard to understand why it is necessary, then, to declare a state of emergency.
— David McKinnon (@McKinnonDavid) May 6, 2022
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