जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश में बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि (पीएफ) के 2268 करोड़ रुपये डीएचएफएल में फंस जाने के मामले में बिजलीकर्मियों के एक प्रमुख संगठन ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार से पीएफ भुगतान की जिम्मेदारी लेने और इस सिलसिले में गजट अधिसूचना जारी करने की मांग की है।
बिजलीकर्मियों की आवाज उठा रही ‘विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति’ के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि संगठन ने मुख्यमंत्री योगी से मांग की है कि वह तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करें और सरकार पीएफ के भुगतान की ज़िम्मेदारी लेकर गजट अधिसूचना जारी करे।
उन्होंने बताया कि संगठन ने एलान किया है कि पीएफ घोटाले के विरोध में सभाओं का क्रम जारी रहेगा और 14 नवंबर को लखनऊ में सरकार के ध्यानाकर्षण के लिए विशाल रैली निकाली जाएगी। अगर पुलिस के जरिये इसके दमन की कोशिश की गई तो तीखी प्रतिक्रिया होगी और बिजली कर्मचारी तत्काल हड़ताल पर चले जायेंगे।
दुबे ने बताया कि संघर्ष समिति की रविवार को लखनऊ में हुई बैठक में तय की गई रणनीति के मुताबिक पीएफ घोटाले के खिलाफ सभी परियोजनाओं/जनपदों में सभाएं जारी रहेगी। आगामी 18 और 19 नवम्बर को बिजलीकर्मी 48 घंटे तक कार्य बहिष्कार करेंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि पीएफ घोटाले को दबाने की कोशिश की जा रही है जिससे कर्मचारियों में खासी नाराजगी है। घोटाले के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पावर कॉरपोरेशन के पूर्व चैयरमैन आलोक कुमार हैं जिनके कार्यकाल में दागी कम्पनी डीएचएफएल को बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के 4200 करोड़ रुपये जमा किए गए। संघर्ष समिति की मांग है कि घोटाले के आरोपी कुमार को बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
बिजली विभाग के कर्मचारियों के पीएफ के करीब सात हजार करोड़ रुपये नियमविरुद्ध तरीके से डीएचएफएल, पीएनबी हाउसिंग और एलआईसी हाउसिंग में निवेश किए जाने का आरोप है। इनमें से 65 प्रतिशत रकम यानी लगभग 4122 करोड़ रुपये डीएचएफएल में ‘फिक्स्ड डिपॉजिट’ किए गए थे। इसमें से करीब 1854 करोड़ रुपए वापस मिल गए थे। इसी बीच, बम्बई हाई कोर्ट द्वारा डीएचएफएल से धन निकालने पर रोक लगाये जाने की वजह से अब उसमें 2,268 करोड़ रुपये फंस गये हैं।
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