जुबिली न्यूज डेस्क
जर्मनी का इलेक्ट्रिक गाड़ी (ईवी) बाजार इस समय एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। ऊंची कीमतें और चार्जिंग सुविधाओं की कमी के कारण, जर्मन ग्राहक पेट्रोल-डीजल कारों की ओर लौट रहे हैं।
एक हालिया सर्वे में पाया गया कि लगभग 47 प्रतिशत जर्मन ग्राहक इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने में सबसे बड़ी बाधा इसकी ऊंची कीमतों को मानते हैं। इसके अलावा, 42 प्रतिशत लोग बैटरी की सीमित रेंज से परेशान हैं।
चार्जिंग स्टेशन की कमी को भी 40 प्रतिशत ग्राहक एक बड़ी समस्या मानते हैं। जबकि लगभग 30 प्रतिशत लोगों ने बिजली की ऊंची कीमतों को चिंता का कारण बताया।
2024 में बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में 27.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इसका प्रमुख कारण 2023 के अंत में सरकारी सब्सिडी का खत्म होना था।
सरकारी सब्सिडी के हटने के बाद, टेस्ला की कारों का यूरोप में रजिस्ट्रेशन 45 प्रतिशत से अधिक गिर गया। यह समस्या केवल ग्राहकों पर ही नहीं, बल्कि पूरी ऑटो इंडस्ट्री पर भी पड़ रही है।
ऑडी ने अपने ब्रसेल्स प्लांट को स्थाई रूप से बंद करने की घोषणा की है, जिससे 3,000 नौकरियाँ खत्म हो गई हैं। जबकि फॉल्क्सवागन की एंट्री-लेवल ईवी लाने की योजना है, लोग फिर भी महंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियों से परहेज कर रहे हैं।
जर्मन कंपनियों को चीन की कंपनियों से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है, जो किफायती इलेक्ट्रिक कारें लॉन्च कर रही हैं। इससे जर्मन कंपनियों पर अपनी रणनीति बदलने का दबाव बढ़ गया है।
हालांकि ईवी की बिक्री में गिरावट आई है, लेकिन 2024 में हाइब्रिड वाहनों की बिक्री में 12.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ये दर्शाता है कि ग्राहक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बजाय हाइब्रिड विकल्पों को अधिक पसंद कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें-रोहित शर्मा पर विवादित टिप्पणी से घिरी कांग्रेस प्रवक्ता,विवाद बढ़ने पर दी सफाई
जर्मनी का ईवी बाजार एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। सब्सिडी हटने, ऊंची कीमतों और चार्जिंग सुविधाओं की कमी ने बिक्री पर गंभीर प्रभाव डाला है।
यूरोपीय संघ 2035 तक पेट्रोल-डीजल कारों पर पूरी रोक लगाने की योजना बना रहा है। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए, विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्फ सब्सिडी देने से समस्या हल नहीं होगी। हमें ईवी को किफायती बनाने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की आवश्यकता है।