जुबिली न्यूज डेस्क
लोक जनशक्ति पार्टी के संरक्षक व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया है। उनके बेटे चिराग़ पासवान ने इसकी जानकारी दी।
बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान की क्या हैसियत रही है यह किसी से छिपी नहीं रही। उनकी गिनती बिहार के कद्दावर नेताओं में होती रही है। बिहार की राजनीति में उनकी 51 सालों से दखल थी।
यह भी पढ़ें : …तो लंबे समय तक काढ़ा पीने से डैमेज हो जाता है लीवर?
यह भी पढ़ें : पूर्व सिपाही कैसे पड़ गया पूर्व डीजीपी पर भारी?
यह भी पढ़ें : 14 देशों के लोग कोरोना के लिए चीन को मानते हैं जिम्मेदार
बिहार में विधानसभा चुनाव हो और रामविलास पासवान की चर्चा न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। पिछले 51 साल में यह पहला मौका है जब उनके बिना विधानसभा चुनाव होने जा रहा है।
एक दौर था जब बिहार के हाजीपुर की धरती पर रामविलास पासवान के पैर पड़ते तो चारों ओर ‘धरती गूंजे आसमान-रामविलास पासवान’ का नारा गूंजता था। पर समय एक सा रहता नहीं। पासवान की भी उम्र बढ़ रही थी और पार्टी की जिम्मेदारी उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रही थीं।
रामविलास पासवान की खासियत रही कि वे किसी भी परिस्थिति से कभी घबराए नहीं। मुश्किलों में विकल्प निकाल लेना उनकी विशेषता थी। उन्होंने एक दिन इस समस्या का समाधान भी निकाल लिया।
पिछले साल पांच नवंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर अपने बेटे और पार्टी के युवा नेता चिराग पासवान के कंधे पर वर्ष 2000 में बनाई गई लोक जनशक्ति पार्टी (रुछ्वक्क) की कमान सौंप दी। यह वही पार्टी थी, जिसके स्थापना काल से रामविलास पासवान अध्यक्ष थे। तब रामविलास ने कहा था कि बढ़ती उम्र की वजह से मंत्रालय और पार्टी के काम साथ में चलाने में उन्हें कठिनाई हो रही है।
यह भी पढ़ें : रक्षा मंत्रालय की बेवसाइटर से डोकलाम संकट के बाद की सभी रिपोर्ट गायब
यह भी पढ़ें : चीन, कोरोना और अर्थव्यवस्था पर कमला हैरिस और माइक पेंस ने क्या कहा?
यह भी पढ़ें : …तो CBI के पूर्व चीफ अश्वनी कुमार ने इस वजह से की आत्महत्या
2020 लोजपा के साथ-साथ रामविलास पासवान के लिए भी कठिन रहा। कोरोना के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। रामविलास पासवान की बिगड़ती तबियत की वजह से लोजपा के सर्वेसर्वा बन चुके चिराग पासवान अपने पिता से मिली राजनीतिक समझ के साथ पार्टी के नेतृत्वकर्ता की हैसियत से चुनाव मैदान में उतरे हैं।
एनडीए के साथ रहने ना रहने को लेकर तमाम विवादों के बीच बिहार की राजनीति में यह चर्चा इन दिनों बेहद आम थी कि ‘अगर खुद पासवान होते तो ऐसा ना होता।’ शायद पासवान इन समस्याओं को देख बिहार आ भी जाते पर स्वास्थ्य उनका साथ नहीं दे रहा था।
यह भी पढ़ें : बीजेपी सांसद ने क्यों की गांधी जी की हत्या की नए सिरे से जांच की मांग?
यह भी पढ़ें : भारत ने रूस के कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति क्यों नहीं दी?
यह भी पढ़ें :जाने क्या है ड्राइविंग दस्तावेजों से जुड़े नए नियम
इंतेहा तब हो गई जब रामविलास पासवान को तबीयत बिगडऩे की वजह से दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पिता की बीमारी और पार्टी की जिम्मेदारियों से युवा चिराग अकेले ही लड़ रहे थे। इसी बीच गुरुवार को चिराग पासवान के ट्वीट ने जानकारी दी कि रामविलास पासवान हमारे बीच नहीं रहे। इस ट्वीट ने बिहार की राजनीति में मानो एक विराम लगा दिया।