स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सियासी पारा लगातार चढ़ रहा है। लोकसभा चुनाव के चार चरण समाप्त हो गए है। अगले चरण के लिए बीजेपी और कांग्रेस में रोचक जंग देखने को मिल रही है। बीजेपी लगातार कांग्रेस को घेर रही है तो दूसरी ओर सपा-बसपा का गठबंधन भी यूपी में बीजेपी के लिए रोड़ा बनकर सामने आया है।मोदी बनारस से ताल ठोंक रहे हैं तो दूसरी ओर मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस के आलावा सपा-बसपा ने पूरा जोर लगा दिया है। तेज बहादुर की दावेदारी को उस समय झटका लगा जब चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया है। उनका नामांकन रद्द होने की खबर पूरे मीडिया में छाई है लेकिन इस दौरान चुनाव आयोग से बहुत बड़ी गलती की है।
जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव को जो नोटिस दिया था उसमें भारी गलती यह हुई है कि तेज बहादुर को इस नोटिस का जवाब 90 साल में देने को कहा है। नोटिस पर गौर किया जाये तो इसमें साफ लिखा है कि नोटिस में तारीख 2019 की जगह 1 मई 2109 जवाब देने को कहा गया है। चुनाव आयोग से टाइपिंग एरर बताया जा रहा है लेकिन सवाल यह है कि जो चुनाव आयोग किसी भी छोटे-मोटे कारण से किसी भी प्रत्याशी उम्मीदवारी खारिज करता है उसे इस तरह की गलती कैसे करनी चाहिए।
सपा-बसपा ने पहले शालिनी यादव को टिकट दिया था। यूपी की हाईप्रोफाइल सीट बनारस में सातवें चरण में मतदान होना है। इससे पूर्व नामांकन के आखिरी दिन सपा-बसपा गठबंधन ने बड़ा फैसला लेते हुए शालिनी यादव के बदले बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव समर्थन देते हुए टिकट थमा दिया था। इसके बाद बनारस की जंग रोचक हो गई थी।
उनकी दावेदारी खारिज होने के बाद सपा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा के साथ-साथ मोदी को तंज कसते हुए कहा है कि राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांगने वालों को एक सैनिक का सामना करना चाहिए था। अखिलेश ने कहा कि जिन लोगों ने तेज बहादुर खराब खाने की शिकायत को लेकर नौकरी से निकाल दिया उन्हें कैसे सच्चा देशभक्त कह सकते हैं।