न्यूज डेस्क
चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर राहुल गांधी ने सवाल उठाया है। उन्होंने चुनाव आयोग से कहा है कि वो चुनाव आचार संहिता की शिकायतों का निपटारा करते वक्ता निष्पक्षता अपनाए। इसके साथ ही राहुल ने कहा है कि मध्य प्रदेश के शहडोल में दिया गया उनका बयान आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है।
मालूम हो 23 अप्रैल को राहुल गांधी ने शहडोल में कहा था ‘नरेंद्र मोदी सरकार ने आदिवासियों के लिए एक नया कानून बनाया है, जिसमें एक लाइन है जो कहती है कि आदिवासियों को गोली मारी जा सकती है।’
राहुल के इस बयान पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग में शिकायत की थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने 1 मई को राहुल को कारण बताओ नोटिस भेजा था। इस नोटिस में आचार संहिता के उस प्रावधान पर ध्यान दिलाया गया था, जो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ गलत आरोप लगाने से रोकता है।
राहुल ने दिया नोटिस का जवाब
चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब में राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने एक राजनीतिक भाषण के दौरान इंडियन फॉरेस्ट एक्ट में प्रस्तावित संशोधन को आसान भाषा में समझाने की कोशिश की थी।
राहुल ने कहा कि इस बयान के जरिए उनका गुमराह करने, गलत मतलब निकालने या झूठी बात बोलने का कोई इरादा नहीं था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बोलने की आजादी नहीं होगी तो चुनाव का उद्देश्य हासिल नहीं किया जा सकेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कुछ बयानों का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग से ‘पारदर्शी, निष्पक्ष और संतुलित’ तरीका अपनाने को भी कहा। राहुल के मुताबिक ये बयान आपत्तिजनक थे, लेकिन इन पर चुनाव आयोग का फैसला समझ से परे है।
मोदी-शाह को दी 11 मामलों में मिली क्लीन चिट
चुनाव आयोग इस लोकसभा चुनाव के दौरान अब तक नरेंद्र मोदी और अमित शाह को 11 मामलों में क्लीन चिट दे चुका है। इन मामलों में चुनाव आयोग के निर्देशों और आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की गई थी। चुनाव आयोग ने जिस तरह इन मामलों पर मोदी-शाह को क्लीन चिट दी है, उसे लेकर आयोग पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई।