जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का इकाना स्टेडियम लगातार सुर्खियों में है। दो दिन पहले भारतीय टीम ने यहां पर जीत दर्ज की थी लेकिन ये जीत किसी जंग जीतने से कम नहीं थी। दरअसल विकेट इतना खराब था कि यहां पर टीम के बल्लेबाजों के भी होश उड़ गई थे।
हालात तो इतने खराब रहे कि न्यूजीलैंड और भारत की टीमें स्कोर बोर्ड पर एक-एक रन जोडऩे के लिए 22 गज की पट्टी पर जूझती नजर आई। इकाना की पिच को लेकर किचकिच कम होने का नाम नहीं ले रही है। इतना ही नहीं कप्तान हार्दिक ने कड़ी आलोचना की थी।
इसके बाद से यूपीसीए और इकाना दोनों की रातों की नींदे उड़ गए और इसके बाद लगातार दोनों डैमेज कंट्रोल करते नजर आ रहे हैं। दरअसल इकाना स्टेडियम की पिच काली और लाल मिट्टी के चक्कर में ऐसा फंसी कि अब उसके लिए ये गले की हड्डी बनता हुआ नजर आ रहा है।
दरअसल आने वाले दिन इकाना स्टेडियम के लिए काफी अहम है क्योंकि आईपीएल और विश्व कप की मेजबानी की दौड़ में ये मैदान शामिल है लेकिन भारत और न्यूजीलैंड के मैच में पिच ने जो खेल दिखाया उससे आने वाले दिनों में इकाना की मुश्किलें बढ़ सकती है।
अब सबकी नजरे बीसीसीआई पर है वो इकाना स्टेडियम को लेकर क्या फैसला लेता है। हालांकि पिच को लेकर मची रार के बीच इकाना प्रबंधन ने सख्त कदम कल उठा ही लिया था और पिच क्यूरेटर सुरेंद्र कुमार को हटाने का फैसला किया। इतना ही नहीं आनन-फानन में नये पिच क्यूरेटर की नियुक्ति भी कर दी गई है।
जुबिली पोस्ट ने कल ही बता दिया था कि पिच क्यूरेटर सुरेंद्र कुमार को हटा दिया गया है और उनकी जगह अब ग्वालियर के संजीव अग्रवाल इकाना के नये पिच क्यूरेटर नियुक्त किये गए है। हालांकि अब भी बड़ा सवाल है जिस मैदान पर रनों की बारिश होने का दावा किया जा रहा था आखिर ऐसा क्या हो गया कि पिच इतनी खराब हो गई।
मैच से ठीक एक दिन पहले भारतीय टीम के कोच राहुल द्रविड़ एयरपोर्ट से इकाना स्टेडियम पहुंचे थे। इकाना स्टेडियम ने काली मिट्टी की पिच अपने हिसाब से तैयार कर ली थी।
वहीं राहुल द्रविड़ और पिच क्यूरेटर सुरेंद्र कुमार से इस बारे में उनकी लंबी बातचीत हुई थी। इस दौरान वहां पर बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर भी मौजूद थे। इकाना और यूपीसीए से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि इकाना के पिच क्यूरेटर ने काली मिट्टी से पिच तैयार की थी लेकिन ऐन वक्त पर उनसे लाल मिट्टी से पिच तैयार करने को कहा गया लेकिन इतने कम वक्त में ये संभव नहीं था।
लाल मिट्टी से तैयार हुई पिच दोनों टीमों के लिए घातक साबित हुई। वहीं इंदौर के चीफ क्यूरेटर समुद्र सिंह चौहान को इकाना प्रबंधन ने उनको खास तौर पर बुलाया था लेकिन जब उन्होंने पिच को देखी तो साफ कह दिया था कि ये पिच टी-20 लायक नहीं है। इतना ही नहीं सुधार करने के लिए उनके पास अब वक्त भी नहीं है।
लाल-काली मिट्टी की पिच में क्या होता अंतर
बात अगर लाल मिट्टी की पिच की जाये तो इसमें पेस और बाउंस दोनों होता है। बल्लेबाजों के लिए ये पिच काफी अच्छी होती है। इसके अलावा बल्ले पर गेंद भी अच्छी तरह से आती है।
ऐसे में बल्लेबाजों को शॉट मारने में आसानी होती है। चेन्नई और मुंबई के स्टेडियम में पिच लाल मिट्टी से बनती है। वहीं बात अगर काली मिट्टी की जाये तो इसमें गेंद पूरी तरह से बल्ले पर नहीं आती है और पिच पर गेंद फंसकर आती है। इस वजह से इस तरह की पिच स्पिनरों के लिए स्वर्ग बन जाती है। पिच पर टर्न भी ज्यादा होती हैै। बल्लेबाजों को रन बनाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है।