जुबिली न्यूज़ डेस्क
नयी दिल्ली। व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आठ करोड़ खुदरा और थोक व्यापारियों का सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) का दर्जा पुन: बहाल करने की मांग की है। कैट का कहना है कि ये व्यापारी सेवा उद्योग का हिस्सा हैं। व्यापारियों से एमएसएमई का दर्जा 2017 में वापस ले लिया गया था।
कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि सरकार ने जून, 2017 में खुदरा और थोक व्यापारियों को एमएसएमई की श्रेणी से हटा दिया था। इससे व्यापारियों को ऊंची दर या अनौपचारिक वित्तीय स्रोतों से कर्ज लेने के लिए बाध्य होना पड़ता है।
ये भी पढ़े:दूसरों पर आरोप लगाने वाले स्वयं ‘संघीकेट’ से संचालित : अखिलेश
ये भी पढ़े: मिताली ने अब ये रिकॉर्ड किया अपने नाम
बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक व्यापारियों को दिए गए करीब तीन लाख करोड़ रुपये के ऋण का एमएसएमई कर्ज का दर्जा मार्च के अंत तक समाप्त हो सकता है। ऐसे में बैंकों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) के लक्ष्य को पाने में समस्या आ सकती है। इस कमी को उन्हें भारतीय लघु उद्योग और विकास बैंक (सिडबी) या सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुन:वित्त एजेंसी लि. (मुद्रा) के पास रखना पड़ सकता है।
रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार कृषि के अलावा एमएसएमई को दिया गया कर्ज प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत आता है। वाणिज्यिक बैंकों को अपने कुल कर्ज का 40 प्रतिशत पीएसएल के तहत देना होता है। हालांकि, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) तथा लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण का लक्ष्य 75 प्रतिशत होता है।
प्राथमिकता क्षेत्र ऋण रियायती दरों पर दिया जाता है। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के श्रम आधारित क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना है। एक अनुमान के अनुसार देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक को ही इस महीने के अंत तक व्यापारियों को दिए गए 50,000 करोड़ रुपये के कर्ज का पुन: वर्गीकरण करना होगा। वहीं आईसीआईसीआई बैंक को करीब 25,000 करोड़ रुपये के कर्ज का पुन:वर्गीकरण करने की जरूरत होगी।
ये भी पढ़े:राधे का बाद अब अक्षय की इस फिल्म की रिलीज डेट आई सामने
ये भी पढ़े:EC का फैसला- ममता बनर्जी पर हुआ ‘हमला’ साजिश नहीं है