जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में उद्योगों के जरिए लोगों को स्थायी रोजगार दिलाने को लेकर शुरू किए गए प्रयास अब असर दिखाने लगे हैं। बीते चार वर्षों में पश्चिमांचल के दस जिलों में हुआ औद्योगिक निवेश यह साबित कर रहा हैं। इसमें ख़ास बात यह है कि उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) से फैक्ट्री लगाने के लिए पश्चिमांचल में बड़े निवेशकों ने सबसे अधिक औद्योगिक भूखंड लिए हैं। जिससे अब नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, बुलंदशहर और सहारनपुर में उद्योग लगा रहे हैं।
इन उद्योगों में लाखों लोगों को स्थायी रोजगार मिलेगा। जिन फैक्ट्रियां में उत्पादन शुरू हो गया हैं, उनमें लोगों को रोजगार मिल भी गया हैं। राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक नीतियों में किए गए बदलाव के कारण ही यह संभव हुआ है।
गौरतलब है कि सूबे की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्योगों के जरिए लोगों को स्थायी रोजगार दिलाने के लिए सूबे की औद्योगिक नीतियों में कई परिवर्तन किए। औद्योगिक नीतियों को इन्वेस्टर फ्रेंडली बनाया और सूबे में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों को कई रियायतें देने का ऐलान किया। इसी क्रम में सूबे के प्रमुख औद्योगिक विकास प्राधिकरणों (यूपीसीडा, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यीडा और गीडा) को यह निर्देश दिया गया कि राज्य में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों को भूमि उपलब्ध कराने में विलंब ना किया जाए।
हर निवेशक को उसकी जरूरत के हिसाब से भूमि उपलब्ध कराई जाए। मुख्यमंत्री की इस मंशा के अनुरूप यूपीसीडा, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यीडा और गीडा ने छोटे बड़े निवेशकों को भूमि उपलब्ध कराने में रूचि ली। फिर देखते ही देखते यूपीसीडा द्वारा उपलब्ध कराई भूमि पर पश्चिमांचल के नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, बुलंदशहर और सहारनपुर में उद्योग लगाने लगने लगे।
यूपीसीडा के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 से अब तक 3500 से अधिक निवेशकों ने फैक्ट्री लगाने के लिए यूपीसीडा से 2000 एकड़ भूमि ली हैं। इस भूमि पर 11,500 करोड़ रुपए का निवेश होगा और इसके जरिए लगी फैक्ट्री में एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। आईटीसी लिमिटेड, पेप्सिको, हल्दीराम, बर्जर पेंट्स, ग्रीन प्लाई, कृभको फर्टिलाइजर्स, वोन वेल्ल्स, कोकाकोला, ज्ञान दूध, ब्रिटिश पेंट्स, वेब्ले स्कॉट, एबी मौरी, भारत पेट्रोलियम, यूनीलीवर और आईनोक्स एयर सरीखी तमाम बड़ी कंपनियों ने यूपीसीडा से ली है।
इसी प्रकार गाजियाबाद में बीका इंडिया लिमेटेड, अलीगढ़ में लिंकलाक प्राइवेट लिमिटेड, मथुरा में पेप्सिको और रोज इंटरप्राइजेज, रसिक एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड, एमजी ओर्गानिक्स ने यूपीसीडा से जमीन ली है। इनमें से कई कंपनियों ने अपनी फैक्ट्री लगाकर उत्पादन शुरू कर दिया है, तो कई कंपनियां अपनी फैक्ट्री लगा रही हैं। ऑक्सीजन उत्पादन इकाई लगाने के इच्छुक उद्यमियों को भी यूपीसीडा ने ग्रेटर नोएडा, सहारनपुर, शाहजहांपुर, बरेली, मथुरा में बीते माह जमीन आवंटित की है। अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर में निवेश कर रही एक दर्जन से अधिक कंपनियों को भी जमीन आवंटित की गई है।
उद्योग विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बीते चार वर्षों में यूपीसीडा से ली गई भूमि पर सबसे अधिक 40 प्रतिशत औद्योगिक निवेश पश्चिमांचल के दस जिलों में हुआ है। जबकि मध्यांचल के जिलों में 25 प्रतिशत, पूर्वांचल के जिलों में 20 प्रतिशत और बुंदेलखंड के जिलों में 15 प्रतिशत औद्योगिक निवेश के लिए भूमि ली गई है। कोरोना संक्रमण के दौरान भी निवेशकों ने सरकार की इंवेस्टर फ्रेंडली नीतियों से प्रभावित होकर यूपीसीडा से नोएडा, गाजियाबाद, मथुरा, मुरादाबाद सहित सूबे के 15 जिलों में करीब 922 छोटी -बड़ी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि ली है। इनमें से कई औद्योगिक इकाइयों के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।
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बीते साल नोएडा में 134, गाजियाबाद में 160, मथुरा में 95 और मेरठ में 27 तथा मुरादाबाद में पांच निवेशकों ने फैक्ट्री लगाने के लिए यूपीसीडा से भूमि ली। निवेश मित्र पोर्टल के जरिए बीते साल छोटे बड़े सभी निवेशकों को भूमि दिलाई गई थी, जिन पर अब फैक्ट्री के निर्माण की कार्रवाई शुरू हो गई है। यूपीसीडा से भूमि लेकर फैक्ट्री लगाने वालों में सबसे अधिक निवेशक मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े हैं। इसके कारण मैन्यूफैक्चरिंग के सेक्टर में 42 प्रतिशत निवेश हो रहा है, इसके बाद 26 प्रतिशत निवेश फ़ूड प्रोसेसिंग सेक्टर में, 11 प्रतिशत निवेश टैक्सटाइल सेक्टर में, 10 प्रतिशत निवेश मेटल्स सेक्टर में और पांच प्रतिशत निवेश केमिकल्स सेक्टर में हो रहा है। इलेक्ट्रनिक्स सेक्टर में दो प्रतिशत निवेश यूपीसीडा से लिए गए औद्योगिक भूखंडों पर किया जा रहा है।