जुबिली न्यूज डेस्क
कनाडा एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां पर दशहरे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले के खालिस्तानियों ने जलाया है। दशहरे के मौके पर पीएम मोदी के पुतले के साथ ही भारतीय दूतावास के अधिकारियों के पुतले भी जलाए गए। पिछले महीने भी इसी तरह की घटना हुई थी। यहां पर ओटावा में भारत के उच्चायोग के अलावा टोरंटो और वैंकूवर में काउंसलर की इमारतों के बाहर बंद सड़कों पर कनाडाई सिखों ने प्रदर्शन किया था। ये सिख जून में हुई खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुए थे। इस दौरान भी उन्होंने तिरंगे के अलावा भारतीय पीएम का पुतला जलाया था।
आलोचनाओं में घिरे ट्रूडो
दशहरे के मौके पर खालिस्तानियों ने तिरंगे में लिपटे पुतलों को जलाया। इन्हें जलाते समय खालिस्तानी भारत और हिंदू विरोधी नारे भी लगा रहे थे। इस घटना के बाद से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो फिर से अलोचनाओं में घिर गए हैं। लोग उनसे पूछ रहे हैं कि क्या वह इसी तरह से अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करते हैं।
भारत को ठहराया दोषी
हाल ही में ट्रूडो ने एक बयान में भारत को रिश्ते बिगाड़ने का दोषी ठहराया था। यह घटना तब हुई है जब हाल ही में पीएम ट्रूडो ने कहा था कि दुनिया को भारत के कदमों से परेशान होने की जरूरत है। भारत की तरफ से पिछले दिनों 41 कनाडाई राजनयिकों को निकाल दिया गया है। अमेरिका और ब्रिटेन ने इस मसले पर कनाडा का साथ दिया है। ट्रूडो की तरफ से कहा गया है, ‘भारत सरकार ने 40 राजनयिकों की राजनयिक सुरक्षा रद्द करने का फैसला किया है।
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सरकार भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए जीवन को सामान्य रूप से जारी रखना अविश्वसनीय रूप से कठिन बना रही है। ट्रूडो की मानें तो भारत ने कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन किया है। भारत सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि उसने कनाडा से राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए कहकर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है।