जुबिली न्यूज डेस्क
राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच प्रवर्तन निदेशालय ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन के ठिकानों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी फर्टिलाइजर (उर्वरक) घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हो रही है। ईडी यह छापेमारी देशभर के कई स्थानों पर कर रही है। ईडी के मुताबिक, यह 150 करोड़ का घोटाला है।
ED raids at premises of Rajasthan CM’s brother, other places across country in money laundering case linked to fertiliser scam: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) July 22, 2020
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के ठिकानों पर एक उर्वरक घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के मामले में देशव्यापी छापेमारी की गई है।
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उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात और दिल्ली में कम से कम 13 स्थानों पर तलाशी ली जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि जोधपुर में अग्रसेन गहलोत के ठिकानों पर भी तलाशी ली जा रही है। इस कथित उर्वरक घोटाले के मामले में 7 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है।
ईडी ने कथित उर्वरक घोटाला मामले में सीमा शुल्क विभाग की शिकायत और आरोपपत्र के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में छह, गुजरात में चार, पश्चिम बंगाल में 2 और दिल्ली में एक स्थान पर पीएमएलए के तहत एजेंसी द्वारा छापे मारी की जा रहा है।
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आपको बता दें कि इससे पहले 13 जुलाई को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक आभूषण कंपनी के जयपुर सहित चार शहरों में मौजूद ठिकानों पर छापेमारी की है। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया था कि दिल्ली, जयपुर और मुंबई में इनकम टैक्स विभाग ओम कोठारी समूह पर छापेमारी कर रहा है। सुनील कोठारी, डीपी कोठारी और विकास कोठारी की कंपनी एनएसई और बीएसई पर सूचीबद्ध है।
विभाग ने जयपुर में राजीव अरोड़ा के आम्रपाली कार्यालय पर ने छापा मारा था। बता दें राजीव अरोड़ा राज्य कांग्रेस कार्यालय के सदस्य हैं। वहीं आयकर विभाग ने कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौर के कार्यालय और निवास सहित राज्य भर में कई स्थानों पर भी छापा मारा था।
बताते चले कि बीते दिनों ही सीएम अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत का नाम फर्टिलाइजर घोटाले में आया था। आरोप है कि अग्रसेन गहलोत ने 2007 से 2009 के बीच किसानों के लिए ली गई उर्वरक को प्राइवेट कंपनियों को दिया गया। इस दौरान केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी और राज्य में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे।