न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में बीजेपी-एनसीपी की सरकार बन गई है। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ली तो वहीं एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद पद की शपथ ली है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को अजित पवार के साथ एनसीपी के 35 से ज्यादा विधायकों का समर्थन मिला है।
वहीं कहा जा रहा है कि शिवसेना के भी 4 विधायकों का समर्थन है। हालांकि, अभी विधायकों के समर्थन की स्थिति साफ नहीं है। बता दें कि 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के लिए हुए चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली है।
बता दें कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन जरूरी होता है। ऐसे में अगर एनसीपी के 35 विधायक ही बीजेपी के साथ आ पाते हैं तो बीजेपी के साथ मिलकर दोनों की संख्या 140 हो जाएगी। हालांकि, कुछ निर्दलीयों का समर्थन भी पहले ही बीजेपी को मिल चुका है। साथ ही अब शिवसेना के कुछ विधायक टूटने की बात भी कही जा रही है।
इस बीच शिवसेना के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत पर अजित पवार तीखा हमला किया। संजय राउत ने कहा कि आखिरी वक्त तक अजित पवार हमारे साथ थे। अजित पवार ने शरद पवार को धोखा दिया है। कल रात अजित पवार बैठक में मौजूद थे।
संजय राउत ने कहा कि अजित पवार वकील से मिलने के बहाने बाहर गए थे। सत्ता और पैसे के दम पर पूरा खेला हुआ है। अजित पवार नजर नहीं मिला पा रहे थे। अंधेरे में अजित पवार ने डाका डाला है। अजित पवार और उनके साथियों ने छत्रपति शिवाजी का नाम बदनाम किया है। अजित पवार को ईडी की जांच का डर है।
वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अजित पवार शिवसेना के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं थे। साथ उनके ऊपर महाराष्ट्र में हुए करीब 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले की जांच चल रही थी, जो कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शासन के दौरान अनेक सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने और उन्हें शुरू करने में कथित भ्रष्टाचार तथा अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है।
इस घोटाले की जांच में अजित पवार पर गंभीर आरोप लग रहे थे। इस प्रकरण को लेकर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के पहले कई नेताओं और अजित पवार तक पर दबाव बनाने का खेल हुआ। तब सवाल यह उठने लगे थे कि जिस मामले में पांच साल तक एफ़आईआर करने में देरी हुई उसमें ठीक चुनाव से पहले इतनी तेजी कैसे आ गयी? क्या यह बदले की कार्रवाई है?
इसके अलावा एनसीपी के बड़े नेता प्रफुल्ल पटेल भी ईडी और सीबीआई की जांच चल रही है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो ईडी और सीबीआई की जांच से बचने के लिए एनसीपी नेता अजित पवार ने बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया होगा।