- देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत
- लॉकडाउन की मार से सबसे ज्यादा प्रभावित कृषि क्षेत्र
- सर्विस सेक्टर पर बुरी तरह से मार पड़ेगी लॉकडाउन की मार
न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए की गई तालाबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ी चोट पहुंचायी है। इस वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। इसीलिए दुनिया के अन्य देश अपने यहां लॉकडाउन हटाने जा रहे हैं या प्रतिबंधों में ढील दे रहे हैं।
भारत में भी तालाबंदी है। तालाबंदी का दूसरा चरण तीन मई को पूरा होने जा रहा है। देश-दुनिया के अर्थशास्त्री भारत में लॉकडाएन खत्म करने की बात कर रहे हैं।
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इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी सरकार को सलाह दी है कि लॉकडाउन को जल्द से जल्द सावाधानी के साथ खोलने की जरूरत है ताकि लोगों की नौकरियां बची रह सकें। उन्होंने कहा कि हमारे पास लंबे समय तक लोगों को एक सीमा से ज्यादा मदद की ताकत नहीं है।
राजन ने कहा कि पूरा फोकस इस बात पर होना चाहिए कैसे ज्यादा से ज्यादा अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियां तैयार की जा सकें। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत है।
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पूर्व आरबीआई गर्वनर की टिप्पणी उस समय में आई है जब भारत में बेराजगारी बढ़ी है और लाखों की संख्या में मजदूर पलायन करने को मजूबर हुए। भारत में करोड़ों लोगों के सामने आजविका का संकट उत्पन्न हो गया है। तालाबंदी का असर भारत में हर क्षेत्र पर पड़ा है।
इस बीच इंडस्ट्री लीडर्स और एक्सपर्ट्स ने इस बीच सरकार से मांग की है कि स्थिति को संभालने के लिए पैकेज जारी किए जाने की जरूरत है। राजन से पहले देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाह अरविंद सुब्रमण्यन ने भी कहा था कि पॉलिसीमेकर्स को इस आर्थिक गिरावट से निपटने का प्लान तय करना चाहिए।
सुब्रमण्यन ने कहा था कि यदि लॉकडाउन को लंबे समय तक जारी रखा गया तो अर्थव्यवस्था को भी कीमत चुकानी होगी। खासतौर पर किसानों की आय को दोगुना करने और देश की 20 फीसदी आबादी को गरीबी रेखा से बाहर लाने का वादा करने वाली सरकार के लिए यह झेलना मुश्किल हो जाएगा।
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हालांकि इस बीच सरकार ने कृषि कार्यों और कृषि उत्पादों से जुड़ी गतिविधियों को कुछ नियमों के साथ किए जाने की मंजूरी दी है। सरकार ने फैसला लिया है कि लॉकडाउन के चलते गेहूं की कटाई और अगली फसल की बुवाई पर कोई असर नहीं होना चाहिए।
आर्थिक जानकारों के अनुसार इस संकट में सबसे कम प्रभाव कृषि क्षेत्र पर ही पड़ेगा, जबकि सर्विस सेक्टर पर बुरी तरह से मार पड़ेगी। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की बात की जाए तो लॉकडाउन खुलने के बाद प्रोडक्शन बढ़ेगा तो यह संकट कम होगा और चीजें पटरी पर आ जाएंगी।
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