न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। हाल ही में सरकार ने नैशनल कैलेमिटी कंटिजैंट ड्यूटी के रूप में सिगरेट पर लेवीस टैक्स बढ़ाने की घोषणा की है। पहले से ही देश में अवैध तरीके से तस्करी होकर आ रही सिगरेट से घरेलू तंबाकू उद्योग पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
सरकार के इस फैसले से तंबाकू उद्योग से जुड़े लाखों लोगों के रोजगार पर असर पड़ना लाजिमी है। तम्बाकू उद्योग के साथ लाखों किसानों का भविष्य जुड़ा होने के बावजूद तस्करी और जालसाजी के कारण नौकरियों का खोना नीति निर्माताओं के राडार पर नहीं है।
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फिक्की कास्केड (अर्थव्यवस्था को नष्ट करने वाली तस्करी और जालसाजी गतिविधियों के खिलाफ समिति) की रिपोर्ट के मुताबिक नकली सामानों की बिक्री के कारण 2017-18 में 16.36 लाख नौकरियां छिन गईं।
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अकेले कपड़ा, मशीन और इलैक्ट्रॉनिक जैसे 5 प्रमुख सेक्टरों में ही 5 लाख से ज्यादा नौकरियां कम हो गई हैं। फिक्की कास्केड ने यह भी दावा किया है अगर सरकार नकली सामान की बिक्री पर रोक लगा दे तो कम से कम 5 लाख नौकरियों के अवसर तुरंत पैदा हो सकते हैं।
तस्करी और नकली सामानों की खरीद देश की अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंचाती है। सिगरेट पर किसी भी प्रकार के टैक्स में बढ़ौतरी का असर घरेलू उद्योग पर पड़ता है। देश में 260 लाख भारतीय किसान और मजदूर पहले ही भारी टैक्सों तले दबे हुए हैं।
फैक्ट फाइल
- फिक्की कास्केड के मुताबिक 2014-15 के मुकाबले 2016-17 में तस्करी की घटनाओं में 136% की बढ़ौतरी हुई है।
- 2016-17 में 3,108 तस्करी की घटनाएं हुईं सिगरेट और तंबाकू उत्पादों की।
- 9,139 करोड़ का अनुमानित घाटा तंबाकू उत्पादों के अवैध कारोबार से।
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देश में बिकने वाली 5वीं सिगरेट तस्करी की
तस्करी होकर आने वाली सिगरेट के डिब्बों में से किसी पर भी पिक्टोरियल नहीं है और न ही एमआरपी होती है, जबकि देश में नियम है कि सिगरेट के डिब्बों पर चित्र से चेतावनी देनी होती है। तंबाकू से कैंसर हो सकता है। किसी की नजर से चेतावनी छूट न जाए इसलिए सिगरेट पैक के 85% हिस्से पर ये चित्र होना चाहिए तो फिर ये सिगरेट कहां से आ गई?
दरअसल ये सिगरेट तस्करी के जरिए आई है। आप देश के किसी भी कोने में जाइए, पान की दुकानों पर बिना चेतावनी वाली सिगरेट मिल जाएगी। यहां तक कि जो स्वास्थ्य मंत्रालय तंबाकू के खिलाफ जंग लड़ने का दम भरता है उसकी नाक तले सुलगती तस्करी की सिगरेट का धुआं बेफिक्री से उठता है।
तस्करी की सिगरेट के बारे में दरअसल सरकार को सब कुछ मालूम है लेकिन इस पर रोक की मैराथन तैयारियां हैं कि खत्म ही नहीं होती। देश में बिक रही हर 5वीं सिगरेट तस्करी की है और ये लगातार बढ़ रही है।
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इसकी गवाही सरकारी आंकड़े देते हैं। 2013-14 में करीब 21 करोड़ की तस्करी वाली सिगरेट जब्त की गई, जबकि 2016 में ऐसी 162 करोड़ की सिगरेट जब्त की गई।
किसको कितना घाटा
टोबैको इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया के डायरैक्टर सैय्यद महमूद अहमद की माने तो इन सिगरेट से किसानों को 1500 करोड़ का नुक्सान और सरकार को 9,139 करोड़ का टैक्स का घाटा हुआ है, वहीं इंडस्ट्री को 13,000 करोड़ रुपए नुक्सान पहुंच रहा है। स्वास्थ्य का नुक्सान है, क्वालिटी का भरोसा नहीं, सिगरेट तस्करी में लगा ये पैसा टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन को भी जाता है।
वहीं यूरो मॉनीटर के मुताबिक भारत सिगरेट तस्करी का चौथा सबसे बड़ा बाजार है। बिना किसी निगरानी और टैक्स के बेची जा रही इस सिगरेट से सेहत को ज्यादा खतरा तो है ही लेकिन सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का भी नुक्सान हो रहा है।
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